भारत की बात सुनाती हूं

​जहां विभिन्न रंगों के मजहब चार,
 शोभा वतन की बढ़ाते हैं।। 
 कहीं राम तो कहीं गुरु नानक व अल्लाह, 
कहीं ईशु पूजे जाते हैं।। 
 बांध बंधन में चार टोलिया, 
प्रेम रंग में रंगना चाहती हूं।। 
 भारत की रहने वाली हूं, 
भारत की बात सुनाती हूं।। 
 जहां गंगा जमुना वह सरस्वती का, 
कहलाता है संगम अति पावन।। 
 जहां हिमगिरी, अरावली व नीलगिरी, विद्यांचल का, 
दृश्य होवे अत्यंत मनभावन।।
 हो ऐसी पावनता हृदयों में, 
नित्य गुहार मैं लगाती हूं।।
 भारत की रहने वाली हूं, 
भारत की बात सुनाती हूं ।।
 जहां युगों युगों तलक किए तपस्या , 
परम पूजनीय मेरे साधु संत।।
 फल स्वरुप तपस्या के लिख डाले, 
अनेकों वेद पुराण व ग्रंथ ।।
 ज्ञान इन्हीं पृष्ठों से समेट, 
मार्ग सहज बनाना चाहती हूं।। 
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं।। 
 जिस आंगन में सोन चिरैया के, 
त्रिदेव लिए मेरे अवतार।। 
 दिए वचन ,अवश्य लौटेंगे, 
युग होंगे परिवर्तित जो बारंबार।।
 लेकर अनेक युगों में जन्म मैं, 
आराध्य इन्हें बनाना चाहती हूं।। 
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं।। 
 भारतवर्ष की इस भूमि पर, 
कृष्ण अर्जुन को दिए उपदेश।। 
 धर्म की विजय पश्चात जहां, 
द्रोपति रक्त से धोई केश।।
 समस्त उपदेशों की समेट पंक्तियां, 
दिव्य लक्ष्य खोजना चाहती हूं ।।
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं ।।
 जहां मीरा व सबरी सी नारियों ने, 
भक्ति के बीज बोए थे।।
 पीकर अमृत भक्ति का सुदामा,
 कृष्ण के चरण धोए थे।। 
 बसा कर प्रभु को मन दर्पण में,
 बुराइयों पर नियंत्रण चाहती हूं।।
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं ।।
 जहां सनातन धर्म का कर प्रचार,
 स्वामी विवेकानंद विश्व में छाए थे।। 
 भारतवर्ष की भव्य उन्नति हेतु, 
क्रांतिकारी योजनाएं वह बनाए थे।। 
 अत्यंत गर्व मुझे जो कलयुग में, 
देव छवि मनुष्य में पाती हूं ।। 
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं ।। 
 जहां अशोक सम्राट व महाराणा प्रताप से राजा, 
 अनेकों युद्ध प्राचीन। 
 साहस व दिव्य कर्मों से अपने, 
गुलदस्ता खिला गए रंगीन।। 
 तोड़ यही बगिया के पुष्प में,
 अर्पित मां भारती को करना चाहती हूं।। 
 भारत की रहने वाली हूं, 
भारत की बात सुनाती हूं ।। 
 लिए जन्म जहां वीरों की ,
 दिव्य इक टोली आई थी ।। 
 वीर भगत सिंह व नेता जी से क्रांतिकारी जिसमें, लक्ष्मीबाई सी वीरांगना छाई थी । 
चलकर इन्हीं के आदर्शों पर, 
हृदय से देशभक्ति चाहती हूं।। 
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं ।। 
 जहां गांधी ,नेहरू व शास्त्री जी ने, 
बनाई भव्य योजनाएं साथ।। 
 अंबेडकर साहब रचे संविधान जहां, 
पकड़े चमत्कारी कलम एक हाथ।। 
 देकर इन्हें गुरुजन की उपाधि, 
 उज्जवल देश मैं बनाना चाहती हूं।।
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं।।
 जहां भारत मां की जय बोले,
 अनेकों देशभक्त कतार में आए हैं।। 
 भागों के अत्यंत धनी जो,
 सेवा का अवसर पाए हैं।। 
 मां भारती दे अवसर एक बार, 
रंग तेरे में रंगना चाहती हूं।।
 भारत की रहने वाली हूं ,
भारत की बात सुनाती हूं ।।

Sangeeta Tiwari 

expr:data-identifier='data:post.id'
Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

7

6

- हम उम्मीद करते हैं कि यह लेखक की स्व-रचित/लिखित लेख/रचना है। अपना लेख/रचना वेबसाइट पर प्रकाशित होने के लिए व्हाट्सअप से भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें। 
कंटेंट लेखक की स्वतंत्र विचार मासिक लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए यहाँ क्लिक करें।। 


 

2