दीया तिरंगे में विशेष स्थान, अशोक चक्र है जाना जाता।।
पहिए का आकार है इसका, धर्म प्रतीक है माना जाता।। अशोक स्तंभ में हरदम ही , चक्र यह विघमान है।। समस्त देशवासी करते हैं जिसका, पूर्ण रूप में सम्मान है।।
अशोक चक्र है बड़ा प्रभावी, कर्तव्यों से अवगत हमें कराएं।।
तिलियां भीतर जो इसके निर्मित, मानव गुणों को यह दर्शाए।।
सजी तिलियां अनेकों इसमें , बैठी है धर्म का मार्ग बनाकर।।
मायने तीलियों के यहां सारे, स्पष्ट शब्दों में दिए सजाकर।।
कर्म वचन व पूर्ण निष्ठा से , जो धर्म मार्ग अपनाएंगे।। समस्त मार्ग है श्रेष्ठ यहां, उन्नति अवश्य ही दिलाएंगे।। दिव्य पथ अनुसार चला देश जो, अनेकों नवीन मिलेंगे प्रमाण शत शत नमन उन्हें बारंबार, किया जिन्होंने चक्र निर्माण।।
कैसे वर्णन करूं गुणों का , बयां करूं कैसे अल्फाज।। विराजमान तिरंगे में अपने, होता बहुत ही मुझको नाज।।
Sangeeta Tiwari