मनुष्य कितना भी कार्य क्यों न कर ले उसका उन्नति और देश का उन्नति तभी हो सकता है, जब स्वच्छ माइंड हो, तभी स्वच्छ डिवाइड होगा। और ये कार्य तभी संपन्न भी होगा अपना चरित्र अपना विचार अपना खुद सुधार करेंगे।
तभी औरों को आगे ले जाने के लिए सही मार्ग बनेंगे जब आप खुद ही देश के उन्नति के बारे में, देश को आगे बढ़ाने के लिए नई- नई तरकीब नई- नई जानकारियां खुद सीखे तब दूसरों को भी आगे पैर रखने के लिए कहेंगे।
कोई भी चीजे होती है कि बाहरी दुनिया में बहरे बनकर नहीं सीखा जाता है। खुद बहरा बनना पड़ता है। वो खुद आते जाते हैं और इसी के द्वारा दूसरों लोगों को बताया जाता है।
जागरूक किया जाता है।
अपना ही सीखकर, चाहे आप राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के बारे में कुछ जान लीजिए
चाहे आप स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जान लीजिए
सभी ने बड़े - बड़े कॉलेजो में पढ़ तो आए परन्तु खुद भी सीखा अपनी आत्मा को शिक्षक मानकर और लोगों बताया उन्हें जागरूक किया ।
देश के उन्नति के बारे में जानकारी दी।
अपनी संस्कृति के बारे में बताया बहुत सारी ऐसी जानकारियां भी दी जो कॉलेजो में नहीं मिलेगी। ये सब अपना खुद सीखना होता है। अपने अंदर से उभारना होता है।
स्वामी विवेकानंद जी ने लोगों को बताया- " कोई किसी को पढ़ा नहीं सकता है, हमें कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता
हमें सबकुछ खुद ही सीखना होता है"।
अब तो समझ गए होंगे आप समझेंगे तभी दूसरों को प्रयास करेंगे। कोई पढ़ाने वाला कोई पढ़ाता नहीं हैं, कोई बताने वाला कोई बताता नहीं हैं। ये बाते दिल डिसाइड करता है कोई सीखता है और सीखाता है।
मनुष्य को चाहिए वो अपना यादगार में स्वच्छ माइंड में हो तभी देश को आगे ले जा सकता है।
एक दूसरे को अपना ज्ञान बांटकर सक्रिय रूप से निरंतर आगे बढ़ पायेगा। देश में ऐसे कई लोग है जो बड़ी- बड़ी बातों से पेट भरते हैं। दूसरों को लुभाकर गलत रास्ता बताते हैं । दूसरों के मन में घुसकर अपना रास्ता बनाते हैं।
इस देश में उन्नति तभी हो सकता है जब हर नागरिक के स्वच्छ माइंड, स्वच्छ डिवाइड हो।
लेखक-मनोज कुमार
गोंडा उत्तर प्रदेश
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