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    फिर से बना दो मेरा भारत महान

    फिर से बना दो मेरा भारत महान

    भूखी जनता है और प्यासा है किसान।
    कर्जे में डूबा है मेरा प्यारा हिंदुस्तान।।

    ऊंचे _ऊंचे पर्वतों की घाटी है यहां।
    सोना जो उगलती वह माटी है यहां। 
    राम और रहीम की भी झांकी है यहां ।
    गोलियों के भी निशान बाकी हैं यहां।।

    फिर भी दुविधा में फंसा हुआ इंशान।
    क्या से क्या हो गया मेरा भारत महान।।

    फुटपाथ में हैं लाखों लोग रहते।
    भीख मांग कर निज पेट भरते।।
    सर्दी, बरसात और घाम सहते।
    लाखों लोग रोज बिना मौत मरते।।

    लाखों लोगों के मिट जाते अरमान।
    क्या से क्या हो गया मेरा भारत महान।।

    आधे मुल्क में अलगाववाद है।
    सीमा बटवारे का अब भी विवाद है। 
    उत्तर, दक्षिण, पूरव, पश्चिम उग्रवाद है।
    सारे देश मे ही फैला जातिवाद है।।

    तिरंगे झंडे का यहां होता अपमान।
    क्या से क्या हो गया मेरा भारत महान।।

    देश द्रोहियों की गठजोड़ है यहां।
    कुर्सी के लिए जोड़ _तोड़ है यहां।।
    काली, पीली दौलत की कमाई है यहां।
    क्षुद्र स्वार्थियो की बाढ़ आई है यहां।।

    गुमराह हो रहे हमारे नवजवान।
    क्या से क्या हो गया मेरा भारत महान।।

    रोज नया होता इक घोटाला है यहां।
    हलाला और हवाला से भी पाला है यहां।।
    आडंबरों का बोलबाला है यहां।
    ज्ञान और विवेक का दिवाला है यहां।।

    जगत गुरू की नहीं बची पहचान।
    क्या से क्या हो गया मेरा भारत महान।।

    धर्म नीति, राजनीति, दोनो बदनाम।
    मीडिया भी बिक रहा कौड़ियों के दाम।।
    लूट _पाट, मार _काट मची सारे आम।
    आदमी का चित्त हुआ धन का गुलाम।

    अब तो एक सहारा बस तेरा भगवान।
    फिर से बना दो मेरा भारत महान।।


    डा शिव शरण श्रीवास्तव "अमल "

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