जागो-जागो दलित भाईयो,तुम्हे जगाने आए हैं

14 अप्रैल __

अंबेडकर जयंती पर विशेष __

जागो _जागो दलित भाईयो _!

जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए हैं ।
असली वंचित, पीड़ित को,
हम न्याय दिलाने आए हैं ।।

गिने, चुने कुछ लोग यहां,
असली का हक हथियाते हैं।
मंत्री, अधिकारी बनकर भी,
खुद को दलित बताते हैं ।।
पीढ़ी_दर पीढ़ी आरक्षण,
का ये लाभ उठाते है ।
लंबी, चौड़ी डींग हांक,
ताली तुमसे बजवाते है ।।
इनकी दोरंगी चाले हम,
तुम्हें दिखाने आए हैं ।
जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए हैं।।

भीम_मीम , भाई_भाई,के
नारे ये लगवाते हैं ।
राष्ट्रवाद से कटे रहो यह,
ऐसा पाठ पढ़ाते है ।।
खुद तो रहते है बंगलो में,
घोटुल तुम्हे दिखाते है ।
यही तुम्हारे कंधो पर,
रखकर बंदूक चलाते है ।।
अपना मोहरा तुम्हे बनाते,
यह बतलाने आए है ।
जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए है ।।

तथा कथित ये शुभ चिंतक,
हमको, तुमको भड़काते है ।
बाहर लगते दुश्मन जैसे,
गाली खूब सुनाते है ।।
पर संसद में सब मिल_जुल,
अंधे कानून बनाते है ।
भाई चारे युत समाज में,
द्वेष, जहर फैलाते है ।।
वोट बैंक के इस कुचक्र की,
चाल दिखाने आए हैं ।
जागो _जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

अगड़े, पिछड़े, दलित वाद से,
हमे लड़ाते रहते है ।
एस सी, एस टी, एक्ट बनाकर,
के धमकाते रहते है ।।
अगड़े, पिछड़े , दलित नहीं हम,
सब ही है भाई_ भाई ।
ऊंच _नीच या जात_पात का,
कोई भेद नहीं भाई ।।
इनके झासे नहीं पड़ो,
संकल्प कराने आए है ।
जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

फोकट में कुछ चीजें देकर,
तुमको पंगु बनाते है ।
आरक्षण का लालच दे,
शिक्षा से दूर भगाते है ।।
इन्हे नहीं कुछ लेना _देना,
शिक्षा से, संस्कारों से ।
इनको केवल वोट चाहिए,
बचो मतलबी यारों से ।।
बनो नहीं तुम इनके मोहरे,
यह समझाने आए है ।
जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

पढ़ो, लिखो, संघर्ष करो,
खुद को मत छोटा मानो तुम ।
तुम नाभा,रविदास बनो,
अपना गौरव पहचानो तुम ।।
तुम केवट, तुम शबरी हो,
तुम ज्ञानी विदुर कहाते हो ।
तुम रामादाल के सैनिक,
सागर में सेतु बनाते हो ।।
तुम बाल्मीक,तुम वेदव्यास,
यह याद दिलाने आए हैं ।
जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

तुम राणा के सैनिक हो,
तुम बीर बांकुरे आला हो।
तुम हो शहीद विरसा मुंडा,
स्वातंत्र्य वीर मतवाला हो।।
ऊंच, नीच की, भेद भाव की,
खाई सारी पाटो तुम।
मनुज, मनुज में घृणा न पनपे,
मत समाज को बाटो तुम।।
यश गाथा झलकारा मां की,
तुम्हे सुनाने आए हैं।
जागो, जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

भारतीय सभ्यता, संस्कृति,
समरसता सिखलाती है ।
सारी बसुधा ही कुटुम्ब है,
यही सदा बतलाती है ।।
भेद नहीं मानव_मानव में,
आर्य नीति कहलाती है ।
जियो और जीने दो सबको,
यही सनातन थाती है ।।
सबको सुखी, समृद्ध बनाने,
का संदेशा लाए है ।
जागो _जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए है ।।

यह दुर्भाग्य हमारा है जो,
अपना देश गुलाम रहा ।
आत ताइयों का भारत में,
वर्षो तक साम्राज्य रहा ।।
फूट करो और राज्य करो की,
कुटिल नीति अपनाई थी ।
इसीलिए अपने समाज में,
ऐसी जड़ता आयी थी ।।
लोकतंत्र में सभी बराबर,
यही बताने आए है ।
जागो जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए है ।।

यदा_कदा ,कुछ_कुछ, घटनाएं,
छुआ_छूत की दिखती है ।
जात_पात के भेद_भाव की,
कुछ हरकतें झलकती है ।।
पर कुछ अपवादों के कारण,
शाश्वत नियम नहीं बनते।
कुछ फूलों के झड़ने से,
उपवन शमशान नहीं बनते ।।
अपवादों पर ध्यान न देना ,
यही बताने आए है ।
जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए है ।।

जाति, पंथ के आरक्षण से,
खाई बढ़ती जाती है।
खास, खास कुछ लोगों की,
बस स्वार्थ पूर्ति हो जाती है ।।
जो असली हकदार वहां तक,
सुविधा नहीं पहुंच पाती ।
वोट बैंक के आगे उनकी,
कोई चाल न चल पाती ।।
क्या अब तक परिणाम मिला है ?
यह बतलाने आए है ।
जागो, जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए हैं ।।

गाड़ी, मोटर, महलों वाले,
कैसे दलित कहाते हैं।
असली पीड़ित, दलितों की,
तुमको पहचान बताते है ।।
क्षीण काय,मुख कांति हीन,
 चिथड़े लिपटे तन सूखा है ।
सर पर बोझा, पंक सने पग,
कई दिनों से भूखा है ।।
भूखे, प्यासे दुखियारों की,
आह सुनाने आए हैं ।
जागो _जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

नीद नहीं नेत्रो में जिनके,
 आंसू केवल छलक रहा ।
पानी टपक रहा कुटिया में,
सुवन क्षुधा से तड़प रहा ।।
वृद्ध दवाई बिना बिलखता,
ऊपर से नभ गरज रहा ।
अटक _अटक कर श्वास चल रही,
सीना धक _धक धड़क रहा ।।
ऐसे व्याकुल, ब्यथित जनो का,
हक दिलवाने आए है ।
जागो _जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

बाबा साहब ने समुचित,
सम्मान दिलाना चाहा था ।
पढ़ा लिखाकर के अच्छा,
इंसान बनाना चाहा था ।
पर तुम कुछ लोगों के हाथों ,
की कठपुतली बन बैठे ।
वोट बैंक के चक्रव्यूह में,
ही खुद को उलझा बैठे ।।
सच्चाई स्वीकार करो,
आइना दिखाने आए है ।
जागो जागो दलित भाईयो 
तुम्हे जगाने आए है ।।

कह दो इनसे बहुत छल लिया,
और न अब छलने देगे।
बाबा साहब के वंशज हम,
भ्रांति नहीं पलने देगे ।।
आरक्षण के प्रावधान को,
और न अब बढ़ने देगे ।
प्रतिभाओं की प्रतिभा का,
सम्मान नहीं घटने देगे ।।
दंभ, द्वेष, पाखंड, झूठ ,
अन्याय मिटाने आए है ।
जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए हैं ।।

आरक्षण की राजनीति अब,
और नहीं चलने देंगे,।
पढ़ _ लिखकर हम योग्य बनेंगे,
दाग़ नहीं लगने देगे ।।
बाबा साहब के सपनों को,
ब्यर्थ नहीं होने देंगे ।
बौद्ध पंथ के राही हम,
अन्याय नहीं होने देंगे ।।
देश तोड़ने वालों को,
सन्मार्ग दिखाने आए है ।
जागो _जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए है ।।

भारत से हम, भारत हमसे,
भारत ही अपना परिचय ।
भारत की हम सब सरगम हैं,
भारत ही अपना सुर_लय ।।
भारत को फिर से हम सब मिल,
जग सिरमोर बनाएंगे ।
खून पसीने की खाएंगे,
नहीं मुफ्त की खाएंगे ।।
येरूशलम, और काबा_काशी,
यहीं बसाने आए हैं ।
जागो _जागो दलित भाईयो,
तुम्हें जगाने आए हैं ।।

 ऊंच_नीच का भेद नहीं है,
गांव, शहर, बाजारों में ।
जात _पात, फल_फूल रहा है,
संसद के गलियारों में ।।
जो सचमुच अतिशय गरीब हैं,
उनको कुछ आरक्षण दो ।
बीर_बधू, दिव्यांग, यतीमों,
को पूरा संरक्षण दो ।।
तुष्टिकरण के कूटनीति की,
जड़े मिटाने आए हैं ।
असली वंचित, पीड़ित को हम न्याय दिलाने आए हैं।।

जागो_जागो दलित भाईयो,
तुम्हे जगाने आए हैं ।
असली वांछित, पीड़ित को 
हम, न्याय दिलाने आए हैं ।।

डॉ शिव शरण श्रीवास्तव "अमल"
(कवि, लेखक, वक्ता, मोटीवेटर,ज्योतिषी एवं समाजसेवी_
9424192318)
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