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    बता दो प्रिय कब आयेंगे?

    *बता दो प्रिय कब आयेंगे?*
    *प्रतीक्षा में ही क्या दिन-रात*
    *सभी ये बीते जायेंगे?*

    *कभी क्या आयेंगे प्राणेश,*
    *लुटा देंगे मेरे हित प्यार?*
    *कब मुझे दे देंगे सस्नेह,*
    *प्रेम का पावनतम उपहार?*

    *मेरी मनुहारों के बादल,*
    *कहो क्या रीते जायेंगे?*
    *बता दो प्रिय कब आयेंगे?*

    *कभी क्या होगा निशि का अन्त,*
    *मिलेगा स्वर्णिम सुखद प्रकाश?*
    *धन्य कब होंगे नयन अधीर,*
    *कभी क्या होगा विरह विनाश?*

    *हृदय के द्रवित हुये उच्छ्वास,*
    *नयन क्या पीते जायेंगे?*
    *बता दो प्रिय कब आयेंगे?*

    सुशील चन्द्र बाजपेयी, लखनऊ, उ०प्र०*

    *क्यों अभी तक तुम न आये?* 
    *चिर प्रतीक्षा में निमज्जित,*
    *नयन में मौक्तिक सजाये,*

    *चल रहा हूं आश को,*
    *विश्वास का आकार देकर।*
    *जी रहा हूं मैं युगों से*
    *बस यही आधार लेकर।*
    *किन्तु निष्ठुरता तुम्हारी,*
    *हो सदय पाई नहीं।*
    *और मेरे दग्ध उर को,*
    *शान्ति मिल पाई नहीं।*

    *किन्तु मेरे तो तुम्हीं हो,*
    *हृदय कैसे भूल जाये?*
    *क्यों अभी तक तुम न आये?*

             *-- सुशील बाजपेयी*

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