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    वक़्त

    वक़्त

    वक्त आदमी को काबिल बना देता है
    वक्त ही आदमी को गाफिल बना देता है।१।

    इसलिये :
    हे इंसानों वक्त के साथ झूलते - झुलसते चले जाओ
    वक्त से ही वक्त पर विजय पाते चले आओ।२।
    क्योंकि :
    उस शहजादे को न मिटा सकता है कोई
    और न ही मिट्टी में मिला सकता है कोई।३।

    ये ठीक है कि वक्त ने वक्त पे वार किया ही किया
    फिर उसकी चिंता छौड जो हुआ सो हुआ।४।

    एक ओर तो बुनिया की बारिस होती है तो
    दूसरी ओर खाने की भी आफत होती है।५।

    अजीत के प्यार में, गुलशन के बहार में वक्त ही काम आता है
    पतझड़ में भी बसंत खिल जाता है।६।

    बुरे वक्त में सभी मुंह मोड़ लेते हैं
    रिश्ते क्या फरिश्ते भी पहचान में आने लगते हैं।७।

    वक्त बदलते देर नहीं लगती
    आदमी की फितरत बदलते हैं
    सुख - दुःख के पैगाम आने लगते हैं
    नीम के पेड़ पर भी आम आने लगते हैं।८।
    -अजीत सिन्हा (स्व रचित)
    ०७ अप्रैल २०२३

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