कुंडलिया की कुण्डलिया

कुंडलिया की कुण्डलिया
कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।
दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।।
इसका यही विधान, आदि ही अंतिम आये।
उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।।
कहे 'अमित' कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।
शब्द चयन है सार, छंद अनुपम कुंडलिया।।


रोला दोहा मिल बनें, कुण्डलिया आनंद।
रखिये मात्राभार सम, ग्यारह तेरह बंद।।
ग्यारह तेरह बंद, अंत में गुरु ही आये।
अति मनभावन शिल्प, शब्द संयोजन भाये।।
कहे 'अमित' कविराज, छंद यह मनहर भोला।
कुण्डलिया का सार, एक दोहा अरु रोला।।

सर्जक- *कन्हैया साहू 'अमित'*
शिक्षक- भाटापारा छत्तीसगढ़
चलभाष- 9200252055
expr:data-identifier='data:post.id'

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Thank You for giving your important feedback & precious time! 😊

7

6

- हम उम्मीद करते हैं कि यह लेखक की स्व-रचित/लिखित लेख/रचना है। अपना लेख/रचना वेबसाइट पर प्रकाशित होने के लिए व्हाट्सअप से भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें। 
कंटेंट लेखक की स्वतंत्र विचार मासिक लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए यहाँ क्लिक करें।। 


 

2