पहले तीन हज़ार साल पहले की बात हैं जब पूरे सौ प्रतिशत आरक्षण ब्राह्मण समाज का हुआ करता था और उनकी आबादी दस प्रतिशत था और अन्य समाज के लिए कुछ आरक्षण ही नहीं था इसका मुख्य कारण अन्य समाज शिक्षित नहीं थे नहीं उसे पढ़ने दिया जाता था उन लोगों को सारे अधिकारों से वंचित कर दिए थे और इसका प्रत्यक्ष लाभ ब्राह्मण लोग उठा रहे थे कुछ वर्ष बीतने के पश्चात आदिवासी,बहुजन जैसे अन्य जनजाति समाज के लोगों एक नई दिशा मिली जब पेरियार और डॉ. भीमराव अम्बेडकर जैसे शिक्षित महापुरुष की इस रूढ़ीवादी देश में जन्म हुआ तब भी यही शिलाशीला था लेकिन बाबा साहेब ने अपने कठिन परिश्रम से उन्हीं ब्राह्मणों के सर पर बैठकर अपने समाज और अन्य समाज के आरक्षण के अधिकार को उन्हें दिलवाया तब से जनरल केटेगिरी के ब्राह्मण इस तरह परेशान हो रहें जैसे कोई उनसे उसका संपत्ति छीन रहा हैं।
Sanjay kumar