वो आई नही मै जागता रहा
तन्हा तन्हा रातों को अपनी काटता रहा
यादो के उन पलों को हर वक़्त रो रो कर गुजारता रहा
आशुओं के बुंदों को अपनी कलम में पिरोता रहा
मै कुछ लिखता रहा एक कहानी बुनता रहा
सुबह, शाम में होने लगी थी रात अगले दिन में होने लगी थी
ख्यालातो के मझधार से खुद को निकालता रहा
कहानी में मैनें खुद का एेसा हश्र किया
कि हर गलत सक्श में मैं आज तक खुद को गिनता रहा
✍️राहुल . . .
Bahut aacha
जवाब देंहटाएंAti sundar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंअति प्रिय
जवाब देंहटाएंBhut acha
जवाब देंहटाएंPrekasit kre
जवाब देंहटाएंBhut sunder
जवाब देंहटाएंGajab 🤘
जवाब देंहटाएंGajb h
जवाब देंहटाएंBhut acha likha hai
जवाब देंहटाएंBahut badiya
जवाब देंहटाएंBahut aachha hai
जवाब देंहटाएंBahut khoob
जवाब देंहटाएंThank You for giving your important feedback & precious time! 😊