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    उसकी याद

    वो आई नही मै जागता रहा 

    तन्हा तन्हा रातों को अपनी काटता रहा 

    यादो के उन पलों को हर वक़्त रो रो कर गुजारता रहा

    आशुओं के बुंदों को अपनी कलम में पिरोता रहा 

    मै कुछ लिखता रहा एक कहानी बुनता रहा 

    सुबह, शाम में होने लगी थी रात अगले दिन में होने लगी थी

    ख्यालातो के मझधार से खुद को निकालता रहा 

    कहानी में मैनें खुद का एेसा हश्र किया 

    कि हर गलत सक्श में मैं आज तक खुद को गिनता रहा 

                   ✍️राहुल . . . 

    13 टिप्पणियाँ

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