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    कईं ख्वाब अभी बाकी हैं

    " कईं ख्वाब अभी बाकी हैं "

    पूरी हो रही जिंदगानी हैं,
     कईं ख्वाब अभी बाकी हैं.
    जिंदा तो है आज भी, 
    मगर जीना अब भी बाकी हैं.
    उलझनों को सुलझाते - सुलझाते, 
    खुद को उलझा रहे हैं, 
    समझना-समझाना छोड़ दिया,
     सपनों ने है दम तोड़ दिया, 
    तिनका - तिनका जोड़ कर ,
    अपना आसिंया बना रहे हैं.
    आज, पथ्थर को पिघला -पिघला कर ,
    " उससे "Dil "बना रहे हैं "

    Makvana Dilipkumar kirtikumar

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