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    सफ़ेद शोर मुझसे कुछ कह रहा है

    गए जो घूमने उस मुताक़लीम में जनका उनको पता नहीं था!
    हुई घटना बेकसूर उसमे झूलसे अग्नि में वो मुझसे कुछ कह रहा है!
    पता नहीं था अनहोनी का उनको क्या होनेवाला है उनके साथ!
     सफ़ेद शोर मुझसे कुछ कह रहा है!
    गए थे वो के जश्न मनाने के लिए उस दिन वो सब!
    बेकसूरो की चीखे मुझसे कुछ कह रहा है!
    हुआ वो उन्होंने जो सोचा नहीं था कभी भी सपने में!
    सफ़ेद शोर मुझसे कुछ कह रहा है!
    एक गलती हुई ऐसी के भरपाई उसकी फिर हो ना सकी!
    जले जो ज़िंदा वो बेकसूर हाथ बढ़ाने के लिए मुझसे मदद के लिए कह रहा है!
    कर ना सका मैं भी कुछ उस वक़्त में उनके लिए!
    वो आज भी जैसे सफ़ेद शोर मुझसे कुछ कह रहा है!
    ज़ुल्मत थी वहाँ कोई रफीक भी नहीं आ पाया उस मक़ाम में!
    कोई सेहर नहीं हुआ और मेरे गोश में वो शोर आ रहा है!
    कोई बसर उस मक़ाम में आ नहीं पाया वो बला टल जाये जिससे उस वक़्त!
    आज भी आवाज़ आती है उनकी और वो सफ़ेद शोर मुझसे कुछ कह रहा है!

    Kalamkaar






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