तुमको तुमसे प्यारा क्या लिखता


ज़िंदगी-ए-जान तुम्हारे साथ।
इश्क़ में कायदा क्या लिखता।
लिखने की तमाम कोशिशें की मगर, 
"तुमको तुमसे प्यारा क्या लिखता"।

मयस्सर इन दूरियों में जिंदगी की कहानी लिखी है।
लफ़्ज़ों से कम, ज़्यादा कलम से स्याही गिरी है।
नफरत की जंजीरों से दूर,
 ये ज़िन्दगी मोहब्बत से घिरी है।
हर अफ़साने और हक़ीक़त में तक चांद-सितारा लिखता।
लिखने की तमाम कोशिशें की मगर,
"तुमको तुमसे प्यारा क्या लिखता"।

ये लहजा, मुलाकात
मुस्कुराहट, और बात
इनसे दूरी बनाता तो कहाँ समझता जज़्बात।
नया रूप है ये तो बोलो उन जज़्बातों का क्या होगा।
इश्क़ की जिल्लत की है बातों ने,
बातों का क्या होगा।
हर बात पर मैं मनाया हूँ,
मनाते हुए ये सयाना क्या लिखता।
लिखने की तमाम कोशिशें कीं मग़र,
"तुमको तुमसे प्यारा क्या लिखता"।

मैं हार गया, तुमको खोया।
आँखो से ज्यादा दिल रोया।
मैं मान लिया, मैं कुछ भी नही।
न मैं झूठा और न तुम कहीं।
मैं दिल की आवाज़ पहचानता हूँ।
तुम्हारे मेरे दरमियां दौर रहा,
पुनर्जन्म को मानता हूं।
इश्क़ फासलों से भी मुक़्क़मल है,
इस जनम से उस जनम तक जानता हूँ।
मेरी ज़िन्दगी को सवारी तुम,
हर लम्हे में इश्क़ की धारा लिखता।
तुमको दरिया और खुद को किनारा लिखता।
लिखने की तमाम कोशिशें कीं मगर,
"तुमको तुमसे प्यारा क्या लिखता"।।

अभिनव चतुर्वेदी
expr:data-identifier='data:post.id'

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

7


 

6

- हम उम्मीद करते हैं कि यह लेखक की स्व-रचित/लिखित लेख/रचना है। अपना लेख/रचना वेबसाइट पर प्रकाशित होने के लिए व्हाट्सअप से भेजने के लिए यहाँ क्लिक करें। 
कंटेंट लेखक की स्वतंत्र विचार मासिक लेखन प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने के लिए यहाँ क्लिक करें।। 

2