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    भारतीय सेना

    माँ की गोद में खेलते खेलते हुआ लाल अब बड़ा,
    जिदंगी की कश्मकश राह पर जाके हुआ खड़ा।
    बचपन से सेना में जाने की एक आस जगाई,
    भारत माँ के प्रति अपनी शीश झुकाई।


    आखिर वो दिन भी आ खड़ा,
    जब वो वतन की रक्षा करने चल पड़ा।
     आँखे सभी की खुशियों से नम गई,
    दो पल के लिए सभी के चेहरे से मुस्कान भी थम गई।


    घर वालों को किया अलविदा,
    मातृभूमि पर होना था फिदा।
    माँ की आँखों से आँसु आ जलके,
    पिता भी सीने में गम छुपाए मुस्कुरा दिये हल्के-हल्के।

    शरहद पर पहुँचकर खाई यही कसम,
    भारत माँ तुझे शत्-शत् नमन।
    धरती माँ की रक्षा में दिन रात लगाया,
     बॉर्डर पर एक-एक दुश्मन को मार भगाया।


    सत्रु सीमा लांग ना जाए, खड़ा रहा चट्टानों सा।
    धरती माँ पे चोट ना आए, खड़ा रहा फ़ौलादो सा।
    धलू चटाई वैरो को, जब उसने आँखें उठाई हैं।
    भारत माँ की सेना के रूप में, उसकी मत्यु आई हैं।


    मिलती है वर्दी इनको, यह किस्मत बाले होते है।
    इनके होने से ही हम, रातों में चैन से सोते है।


    करता रहा बॉर्डर पर रक्षा,
     देता रहा देशवासियों को सुरक्षा,
    नहीं रहा किसी का भय, 
    हमेशा करता रहा पराजय।


    दिन रात कारगिल का युद्ध लड़ता रहा, 
    वतन को शत्रुओ से बचाता रहा। 
    धरती माँ पर आच ना आए, 
    यही सोच कदम आगे बढ़ाए।
    यारों वतन अपना बचाना था, 
    फिर चोटी पर अपना तिरंगा झंडा लेहरना था। 


    दुश्मन पर तूने गोली जो बरसाई, 
    देशवासियों की आँखे भर आई। 
    सीमा पे लड़ते-लड़ते शहीद हो गया, 
    माँ की आँचल से दूर उसका लाल हो गया। 


    तिरंगा में लिपटा उसका पार्थिव शरीर आ गया, 
    परिवार वालों का तो मानो पूरा संसार उजड़ गया। 


    जवान के शव को पुरे गाँव में फहराया, 
    उसके नाम का झंडा गाँव में लहराया।
    जवान के सहिद होने से, 
    ऐसा लगा जैसे दिल का टुकरा गया दूर, 
    चल बसा देश का एक कोहिनूर। 

     
     ना करते कभी जवानो को अपमानित, 
    उसकी वीरता देख उसे, 
    परमवीर चक्र से किया सम्मानित। 

    ना जाने उसकी वीरता का कैसे कर्ज भरते, 
    आज भी सभी लोग उसे याद करते।

    ठाकुर अमन

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