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    कम्प्यूटर की शैक्षिक उपयोगिता

     कम्प्यूटर प्रयोग से लाभ तथा हानि वास्तव में कम्प्यूटर ऐसे यान्त्रिक 
    मस्तिष्क का रूपात्मक और समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व है, जो तीव्रतम 
    गति से न्यूनतम समय में त्रुटिहीन गणना कर सके। मानव सदा से ही अपनी गणितीय गणनाओं के लिए 
    गणना-यन्त्रों का प्रयोग करता रहा है। आज तो अनेक प्रकार के जटिल गणना-यन्त्र 
    बना लिए गये हैं, जो बहुत जटिल गणनाओं का परिकलन अपने-आप कर लेते हैं। इन 
    सबमें सर्वाधिक तीव्र, शुद्ध एवं सबसे उपयोगी गणना करने वाला यन्त्र कम्प्यूटर 
    है। चार्ल्स बेवेज नामक व्यक्ति ने 19वीं शताब्दी के आरम्भ में पहला कम्प्यूटर 
    बनाया। यह कम्प्यूटर लम्बी-लम्बी गणनाएँ कर उनके परिणामों को मुद्रित कर देता 
    था। धीरे-धीरे विकसित होकर आज कम्प्यूटर स्वयं गणनाएँ करके जटिल से जटिल 
    समस्याओं को मिनटों में हल कर देता है, जिसे करने के लिए मनुष्य को कदाचित कई 
    दिन अथवा महीने लग जाएँ। कम्प्यूटर से की जाने वाली गणनाओं के लिए एक विशेष 
    भाषा में निर्देश तैयार किये जाते हैं। इन निर्देशों और सूचनाओं को कम्प्यूटर 
    का 'प्रोग्राम' कहा जाता है। यदि कम्प्यूटर से प्राप्त होने वाला परिणाम 
    अशुद्ध है तो उसका तात्पर्य यह है कि उसके 'प्रोग्राम' में कहीं-न-कहीं त्रुटि 
    रह गयी, क्योंकि कम्प्यूटर कोई गलती कर ही नहीं सकता। कम्प्यूटर का केन्द्रीय 
    मस्तिष्क अपने सारे काम दो अंगों या संकेतों की गणितीय भाषा में ही करता है। 
    अक्षरों या शब्दों को भी दो संकेतों की इस मशीनी भाषा में बदला जा सकता है। इस 
    तरह अब शब्दों या पाठों का अथवा पूरी पाठ्य-पुस्तकें कम्प्यूटर के द्वारा छापी 
    जा सकती हैं।

    कम्प्यूटर का प्रयोग-कम्प्यूटर आज मानव मस्तिष्क पर पूरी तरह छा गया है। 
    बड़े-बड़े व्यवसाय, तकनीकी संस्थान और महत्त्वपूर्ण संस्थानों में कम्प्यूटर 
    का प्रयोग मानव मस्तिष्क के रूप में किया जा रहा है। आज कम्प्यूटर की सहायता 
    से सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं और सूचनाएँ भेजी जा सकती हैं।

    बड़े-बड़े बैंकों में खातों के रख-रखाव के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा 
    रहा है। टंकण एवं प्रकाशन के क्षेत्र में भी कम्प्यूटर का महत्त्वपूर्ण योगदान 
    है। दूर-संचार के क्षेत्र में भी कम्प्यूटर को अत्यधिक सफलता प्राप्त हुई है। 
    वास्तुशिल्प एवं डिजाइनिंग में भी कम्प्यूटर का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसके 
    द्वारा डिजाइनें तैयार की जा सकती हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान में भी कम्प्यूटर 
    का महत्त्वपूर्ण योगदान है। औद्योगिक क्षेत्र के भी कार्य संचालन में 
    कम्प्यूटर का विशेष योगदान है। कम्प्यूटर का आविष्कार युद्ध के एक साधन के रूप 
    में भी किया गया है। एटम बम की गणना के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। 
    वर्तमान समय में कम्प्यूटर का प्रयोग परीक्षाफल के निर्माण, मौसम की जानकारी, 
    चिकित्सा क्षेत्र, चुनाव कार्य आदि में भी किया जाता है।

    कम्प्यूटर और मानव मस्तिष्क- कम्प्यूटर के मस्तिष्क का निर्माण मानव-बुद्धि ने 
    किया है। यह बात नितांत सत्य है कि कम्प्यूटर समस्याओं को मानव मस्तिष्क की 
    अपेक्षा बहुत कम समय में हल कर सकता है। फिर भी वह एक यन्त्र है जो संवेदनाओं, 
    रुचियों तथा चिन्तनों से रहित है। यह केवल निर्देशित कार्यों को ही करता है। 
    वह कोई निर्णय स्वयं नहीं ले सकता और न ही कोई नवीन बात सोच सकता है। यह सभी 
    मानवीय आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम है, परन्तु मानव मस्तिष्क की 
    बराबरी नहीं कर सकता।

    उपसंहार - वर्तमान कम्प्यूटर युग में प्रवेश करके हमने पूर्णरूप से अपने को 
    कम्प्यूटर के हवाले कर दिया है। कम्प्यूटर हमें बोलना, व्यवहार करना, अपने 
    जीवन को जीना, मित्रों से मिलना और उनके विषय में ज्ञान प्राप्त करना आदि सब 
    कुछ सिखायेगा। इसका अभिप्राय यह हुआ कि हम अपने प्रत्येक निर्णय को कम्प्यूटर 
    से पूछने पर विवश हो जायेंगे। किन्तु कम्प्यूटर में जो कुछ भी एकत्रित किया 
    गया है, वह आज के असाधारण बुद्धिजीवियों की देन है।

    अतः स्पष्ट है कि वर्तमान युग में कम्प्यूटर का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

    सुनीता मिश्रा

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