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    मित्रता

    मित्रता का शाब्दिक अर्थ होता है अच्छे दोस्त का होना। मित्र होने का अर्थ यह 
    नहीं होता है कि वे साथ रहते हो या वे एक जैसा काम करते हों। मित्रता का अर्थ 
    होता है जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शुभचिंतक हो अथार्त परस्पर एक-दूसरे 
    के सुख – दुख, उन्नति और समृद्धि के लिए प्रयत्नशील होना ही मित्रता है। एक 
    ऐसा व्यक्ति जिसे हम अपने दिल की बात आसानी से कह सके तथा जिस पर हमें खुद से 
    भी ज्यादा भरोसा हो वही सच्चा मित्र होता है।

    मित्रता का महत्व – Mitrata ka mahatva

    दोस्ती एक अमूल्य धन की तरह होती है अर्थात दोस्ती का कोई मूल्य नहीं होता 
    सच्ची मित्रता निःस्वार्थ होती है जिसमें किसी का कोई स्वार्थ नही होता। 
    मित्रता ना जाति देखती है और ना ही धर्म। मित्रता तो केवल विश्वास और प्रेम के 
    आधार पर होती है। मित्रता किसी के भी बीच हो सकती है। चाहे वो किसी भी धर्म या 
    जाति के मानने वाले हो। एक अमीर भी किसी गरीब का मित्र हो सकता है।

    सच्चे मित्र की पहचान – Sache mitra ki pehchan

    एक सच्चा मित्र वह होता है जो बिना किसी स्वार्थ के हमारी सहायता करता है। अगर 
    हम गलत रास्ते पर चलें तो वह हमें समझाकर सही मार्ग दिखाए। सच्चा मित्र वह 
    होता है जो सुख – दुख में हमारे साथ खड़ा रहे।

    बुरे लोग दोस्ती को तोड़ने तथा दोस्ती का फायदा उठाने का प्रयास करते है। ऐसे 
    लोगो से हमे बचना चाहिए और हमें उनकी कही गयी बातों पर कभी विश्वास नही करना 
    चाहिए। अगर कभी भी दोस्ती में कड़वाहट आये तो आपस में बात करे। ऐसा नही है कि 
    प्रत्येक दोस्त आपका सच्चा मित्र होता है।कुछ दोस्त केवल स्वार्थ के कारण ही 
    आपके मित्र बनते है। जब उनका स्वार्थ या काम पूरा हो जाता है तो मित्रता तोड़ 
    लेते है। ऐसे धोखेबाज दोस्तों से बचना चाहिए। ऐसे दोस्त ही दोस्ती के इस 
    पवित्र रिश्ते को बदनाम करते है। एक सच्चा दोस्त आपका शुभचिंतक होता है जो 
    हमेशा आपकी भलाई की कामना करता है।

    मित्रता अमूल्य है

    दोस्ती इस दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता होता है। मित्र बनाना सरल नहीं होता। 
    एक मनुष्य के अंदर कुछ विशेषताएं होनी जरूरी होती हैं। एक मनुष्य को अपने 
    मित्र पर विश्वास करना चाहिए। हमें अपने मित्र में दोष नहीं निकालने चाहिएँ। 
    मित्रता का कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता है।


    मनुष्य को कोशिश करनी चाहिए कि वह ज्यादा-से-ज्यादा अपने मित्र की सहायता कर 
    सके। एक झूठा मित्र हमेशा अपने स्वार्थ के लिए मित्रता करता है लेकिन ऐसी 
    मित्रता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती। ऐसे झूठे मित्रों से हमें सावधान रहना 
    चाहिए।

    उपसंहार

    मित्रता एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे किसी अन्य रिश्ते से तोला नहीं जा सकता 
    है। अन्य रिश्तों में हम शिष्टाचार की भावना से जुड़े होते हैं लेकिन मित्रता 
    में हम खुले दिल जुड़ाव महसूस करते हैं।

    लोगों को हमेशा यही कामना होती है कि उनकी मित्रता उम्र भर चलती रहे। जिंदगी 
    में कभी भी ऐसा पल न हो जिसकी वजह से उनकी दोस्ती में कड़वाहट आये। मित्रता वह 
    खजाना होता है जिससे व्यक्ति किसी भी प्रकार की अच्छी वस्तु प्राप्त कर सकता 
    है।
    इस खजाने में केवल सदगुण-ही-सदगुण मिलते हैं। जीवन में हमेशा मित्रता परखने के 
    बाद ही करनी चाहिए। मित्रता केवल पहचान होने से नहीं होती है।हमारें जीवन में 
    सच्चे दोस्त का होना बहुत आवश्यक है।
    सच्चे दोस्त के बिना हमारी जिंदगी लगभग अधूरी – सी हैं।
    हम चाहे किसी भी मुश्किल में क्यों न हों एक सच्चा दोस्त हमेशा साथ देता है।
    दोस्त वो होता है जो अपने साथी के उदास होने पर भी उसको हंसा देता है।
    सच्चा दोस्त हमें अपने जीवन में मिलने वाला वह अमूल्य धन है जिसे कभी खरीदा 
    नही जा सकता।
    मुश्किल वक्त में चाहे कोई साथ दे या न दे लेकिन एक सच्चा मित्र हमेशा साथ 
    देता है।
    हमें अपने मित्र पर विश्वास करना चाहिए तथा आवश्यकता पड़ने पर एक – दूसरे का 
    सहयोग करना चाहिए|
    मित्रता वह रिश्ता है जिसके कारण हमें कठिन से कठिन कार्य भी सरल लगने लगता है।
    जीवन में सच्चे मित्र की आवश्यकता हर किसी को होती हैं लेकिन सबको सच्चा मित्र 
    मिले यह जरूरी नही है।
    मुसीबत आने पर हमें भी अपने दोस्त का साथ देना चाहिए|

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