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    युवा पीढ़ी की बनती और बिगड़ती सूरत

    युवा शक्ति ही किसी राष्ट्र की प्रमुख शक्ति होती है। जिस देश में युवा शक्ति 
    रचनात्मक कार्यों में लग जाएगी, उस देश का कायाकल्प सुनिश्चित हो जाता है। 
    इसके ठीक विपरीत जिस देश में युवा शक्ति विध्वंसकारी गतिविधियों में लग जाएगी, 
    उस राष्ट्र का पतन अवश्यंभावी है। अतः प्रत्येक राष्ट्र को सचेष्ट रहना चाहिए 
    कि युवा शक्ति भटकने न पाए। युवा शक्ति के भटक जाने का मुख्य कारण प्रायः युवा 
    असंतोष ही होता है। युवा कल की आशा हैं। वे राष्ट्र के सबसे ऊर्जावान भाग में 
    से एक हैं और इसलिए उनसे बहुत उम्मीदें हैं। सही मानसिकता और क्षमता के साथ 
    युवा राष्ट्र के विकास में योगदान कर सकते हैं और इसे आगे बढ़ा सकते हैं।
    युवा कर्मठ एवं अनुशासित हो तो देश का भविष्य निश्चित ही उज्जवल होगा. युवा 
    -जीवन किसी भी मानव का आधार होता है .यह वह अवस्था है जब जीवन को उचित दिशा 
    निर्देश की आवश्यकता होती है , जो युवा आदर्श पूर्वक, जिज्ञासा से , कर्मठता 
    से ,सच्चरित्रता से जीवन यापन करता है ,उसका जीवन उतना ही सहज ,सरल एवं अमृतमय 
    हो जाता है ,यह समय निश्चित रूप से सर्वोत्तम जीवन है ,भविष्य का नींव 
    निर्धारित होता है नए व्यक्तित्व का विकास होना प्रारम्भ होता है ,नए उत्साह 
    उमंग से सराबोर युवक अदम्य उत्साह से पहला कदम अर्थात जीवन की ओर उन्मुख होता 
    hai यदि देश के अनुशासित और अपने कार्य सुचारू रूप से तथा लगता के साथ करने 
    वाले एवं राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले हैं तो वह देश प्रगति करता 
    है . दूसरी और यदि वे अनुशासनहीन , अपने कार्यों को न करने वाले तथा अपने ही 
    हित में लगे रहने वाले रहें तो राष्ट्र अवनति की ओर बढ़ता है .
    जिस तरह से स्वामी विवेकानंद ने हमेशा देश के युवाओं को आगे बढऩे की प्रेरणा 
    दी, उसी तरह हर बुद्धिजीवी नागरिक का कत्र्तव्य है कि वे अपने उच्च चरित्र के 
    व्यक्तिगत उदाहरण से युवाओं के लिए एक रोल मॉडल का काम करें। 
    आज के डिजिटल युग में युवा वर्ग एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभा सकता है मगर वह 
    कहीं भटकता हुआ जरूर नजर आता है जब वह सोशल मीडिया का गलत प्रयोग कर 
    नकारात्मक सोच को जन्म देने लगता है। डिजिटल मीडिया के माध्यम से वे न जाने 
    कौन-कौन से अपराध कर बैठता है तथा अपनी सारी ऊर्जा को पानी की तरह बहा कर अपना 
    जीवन नष्ट कर बैठता है। इंटरनैट पर न जाने वे क्या-क्या देखते हैं तथा अपना 
    व्यवहार मजनुंओं की तरह करने लग पड़ते हैं। 
    बुरी संगत को त्याग कर अच्छी संगत का साथ देना चाहिए। याद रखें कि यदि लोहे को 
    खुली हवा में बाहर रख दिया जाए तो उसे जंग लग जाता है मगर उसी लोहे को यदि आग 
    से गुजारा जाए तो वह एक बहुमूल्य स्टील का रूप धारण कर लेता है। उन्हें अपना 
    एक लक्ष्य बनाना चाहिए तथा बिना लक्ष्य के उनकी मेहनत उसी तरह बेकार जाएगी 
    जैसा कि पानी की तलाश में एक ही जगह गहरा कुआं न खोद कर जगह-जगह खाइयां खोदने 
    से कुछ भी प्राप्त नहीं होता।समय को व्यर्थ न गंवाएं तथा समय प्रबंधन की कला 
    को सीखें। समय किसी का इंतजार नहीं करता तथा आगे निकलता ही चला जाता है तथा 
    ध्यान रखें कि एक बार बहते हुए नदी के पानी को दोबारा छुआ नहीं जा सकता।अपने 
    आत्मविश्वास को बनाए रखें क्योंकि जिंदगी में बहुत-सी असफलताओं का आपको सामना 
    करना पड़ेगा।  
    अपने माता- पिता व गुरुजनों का आदर-सत्कार करें। हमारे मां-बाप तो वह बहार है 
    जिस पर एक बार फिजा आ जाए तो दोबारा बहार नहीं आती। याद रखें कि माता-पिता के 
    चले जाने के बाद तो दुनिया अंधेरी लगती है।
    यह ऐसे पक्षी हैं जो उड़ जाने के बाद वापस नहीं आते। सहारा देने वाले जब खुद 
    सहारा ढूंढ रहे हों तथा इसी तरह बोलना सिखाने वाले जब खुद खामोश हो जाते हैं 
    तो आवाज और अलफाज बेमायने हो जाते हैं। इसलिए हमेशा अपने माता-पिता के कर्ज को 
    चुकाने को कभी न भूलें।
                                            - Bikash chaubey

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