भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि
की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है,
भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार भारत समेत अन्य विकासशील देश में तेजी से
फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को
ज़िम्मेदार मानते हैं पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के
विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं। वर्तमान में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से
परिचय
अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने
निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर
सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में
भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।
भ्रष्टाचार क्या है?
भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की
पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के
भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले
द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।
भ्रष्टाचार के कारण
देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार
होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर
भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।
व्यक्ति का लोभी स्वभाव – लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को
बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने
धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री
रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए
अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की
वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
मनसा – व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं
होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी
है।
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार देश में लगा वह दीमक है जो अंदर ही अंदर देश को खोखला कर रहा है।
यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि,
आदत और मनसा जैसे विकारों के वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।
भ्रष्टाचार के प्रकार, परिणाम व उपाय
परिचय
अपना कार्य ईमानदारी से न करना भ्रष्टाचार है अतः ऐसा व्यक्ति भ्रष्टाचारी है।
समाज में आये दिन इसके विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। भ्रष्टाचार के
संदर्भ में यह कहना मुझे अनुचित नहीं लगता, वही व्यक्ति भ्रष्ट नहीं हैं
जिन्हें भ्रष्टाचार करने का अवसर नहीं मिला।
भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार
रिश्वत की लेन-देन – सरकारी काम करने के लिए कार्यालय में चपरासी (प्यून) से
लेकर उच्च अधिकारी तक आपसे पैसे लेते हैं। इस काम के लिए उन्हें सरकार से वेतन
प्राप्त होता है वह वहां हमारी मदद के लिए हैं। इसके साथ ही देश के नागरिक भी
अपना काम जल्दी कराने के लिए उन्हे पैसे देते हैं अतः यह भ्रष्टाचार है।
चुनाव में धांधली – देश के राजनेताओं द्वारा चुनाव में सरेआम लोगों को पैसे,
ज़मीन, अनेक उपहार तथा मादक पदार्थ बांटे जाते हैं। यह चुनावी धान्धली असल में
भ्रष्टाचार है।
भाई-भतीजावाद – अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर लोग भाई-भतीजावाद को बढ़ावा
देते हैं। वह अपने किसी प्रिय जन को उस पद का कार्यभार दे देते हैं जिसके वह
लायक नहीं हैं। ऐसे में योग्य व्यक्ति का हक उससे छिन जाता है।
नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों द्वारा टैक्स भुगतान करने हेतु
प्रत्येक देश में एक निर्धारित पैमाना तय किया गया है। पर कुछ व्यक्ति सरकार
को अपने आय का सही विवरण नहीं देते और टैक्स की चोरी करते हैं। यह भ्रष्टाचार
की श्रेणी में अंकित है।
शिक्षा तथा खेल में घूसखोरी – शिक्षा तथा खेल के क्षेत्र में घूस लेकर लोग
मेधावी व योग्य उम्मीदवार को सीटें नहीं देते बल्कि जो उन्हें घूस दे, उन्हें
दे देते हैं।
इसी प्रकार समाज के अन्य छोटे से बड़े क्षेत्र में भ्रष्टाचार देखा जा सकता
है। जैसे राशन में मिलावट, अवैध मकान निर्माण, अस्पताल तथा स्कूल में अत्यधिक
फीस आदि। यहां तक की भाषा में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। अजय नावरिया के
शब्दों में “मुंशी प्रेमचंद्र की एक प्रसिद्ध कहानी सतगति में लेखक द्वारा
कहानी के एक पात्र को दुखी चमार कहा गया है, यह आपत्तिजनक शब्द के साथ भाषा के
भ्रष्ट आचरण का प्रमाण है। वहीं दूसरे पात्र को पंडित जी नाम से संबोधित किया
जाता है। कहानी के पहले पात्र को “दुखी दलित” भी कहा जा सकता था।“
भ्रष्टाचार के परिणाम
समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके
वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की
मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है।
किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश
के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।
भ्रष्टाचार के उपाय
भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानून – हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से
अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ
सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
कानून की प्रक्रिया में समय का सदुपयोग – कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय
नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।
लोकपाल कानून की आवश्यकता – लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का
कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून
बनाना आवश्यक है।
इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता
बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर
व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।
निष्कर्ष
हर प्रकार के भ्रष्टाचार से समाज को बहुत अधिक क्षति पहुंचती है। हम सभी को
समाज का ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह प्रण लेना चाहिए, न भ्रष्टाचार
करें, न करनें दें।
– भ्रष्टाचार का इतिहास व इसके विरुद्ध सरकार द्वारा उठाए गए कदम
परिचय
भ्रष्टाचार व्यक्ति का ऐसा आचरण है जिसका प्रदर्शन करते हुए भ्रष्टाचारी
संविधान के सभी नियमों को ताक पर रख कर अपने हित के लिए गलत तरह से धन अर्जित
करते हैं।
भ्रष्टाचार का इतिहास
भ्रष्टाचार, वर्तमान में उत्तपन्न होने वाली समस्या नहीं है बल्कि यह कई दशकों
से विश्व में व्याप्त है। ब्रिटेन द्वारा विश्व के 90 प्रतिशत देशों को अपने
अधिन कर लेना इस बात का सबूत है की व्यक्ति अपने हित के लिए देश की मिट्टी का
सौदा कर दिया करते थे। राजा अपना राज्य बचाने के लिए सही गलत में फर्क करना
भूल जाते थे। यह भ्रष्टाचार के प्रारंभ के रूप में देखा जा सकता है।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार द्वारा उठाए गए कदम
डिजिटलीकरण – सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है इससे
घूसखोरी की मात्रा में कमी आयी है और सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में जाता
है।
नौकरी से निष्कासित – भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से निकाला गया इसमें आयकर
विभाग, पुलिस विभाग तथा अन्य सम्मानित पदाधिकारी सम्मिलित थे।
चुनाव में सुधार – समय बीतने के साथ चुनाव व्यवस्था में पहले के अपेक्षा सुधार
किया गया है।
गैरकानूनी संस्थानों तथा दुकानों पर ताला – हजारों अवैध संस्थान, एनजीओ तथा
दुकानों को बंद कराया गया है।
भ्रष्टाचार बोध सूचकांक
भ्रष्टाचार पर रोक लगाने हेतु विश्व स्तर पर सन् 1995 में भ्रष्टाचार बोध
सूचकांक का गठन किया गया है। यह प्रत्येक वर्ष सभी देशों को भ्रष्टाचार के
आधार पर रैंक देता है जिसमें 0 का अर्थ है सबसे भ्रष्ट देश जबकि 100 से आशय
भ्रष्टाचार मुक्त देश से है। वर्तमान समय में 180 देशों के मध्य यह रैंकिंग की
जाती है। उदाहरण के तौर पर भ्रष्टाचार सूचकांक 2019 के आधार पर देशों की
रैंकिंग निम्नवत् है।
2019 भ्रष्टाचार बोध सूचकांक के आधार पर देशों की स्थिति
कनाडा, फ्रांस संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम के स्कोर में पिछले
वर्ष की तुलना में कमी पाया गया है। वहीं जर्मनी, जापान के स्कोर में कोई
परिर्वतन नहीं आया है। भारत तथा चीन सहित अन्य चार देश 41 अंकों के साथ 80वें
स्थान पर हैं। भारत 2018 में 78वें स्थान पर था इस हिसाब से भारत के स्कोर में
2 अंकों की गिरावट आयी है।
भ्रष्टाचार मुक्त देश
भ्रष्टाचार बोध सूचकांक के आधार पर 87 अंक के साथ डेनमार्क प्रथम स्थान पर
भ्रष्टाचार मुक्त देश घोषित किया गया।
सर्वाधिक भ्रष्ट देश
9 अंक की प्राप्ति कर सोमालिया विश्व का सबसे अधिक भ्रष्ट देश है।
स्विस बैंक भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा केन्द्र
‘यूबीएस’ विश्व का एक प्रमुख वित्तीय बैंक है, यह भारत में स्विस बैंक से
प्रचलित है। इसका पूरा नाम यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड है। विश्व के सबसे
भ्रष्टाचार नागरिक व राजनेता इसी बैंक में अपने देश से टैक्स चोरी कर धन रखते
हैं। स्विस बैंक के डायरेक्टर के शब्दों में “भारतीय गरीब है पर भारत देश कभी
गरीब नहीं था”। केवल भारत देश का, लगभग 280 लाख करोड़ रुपये स्विस बैंक में
जमा है। यह रकम इतनी है कि अगले 30 साल भी बिना टैक्स के भारत अपना बजट आसानी
से बना सकता है या फिर यूँ कहें 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार एक वैश्विक समस्या बन गया है जिससे लगभग सभी विकाशसील देश जूझ रहें
है। देश से हमारा अस्तित्व है अर्थात देश के बिना हम कुछ नहीं इसलिए अपने देश
को भ्रष्टाचार मुक्त करने का हर संभव प्रयास हर देशवासी को करना चाहिए।
आर्यन
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