कहा जाता है। इस धर्म की उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहली हुई थी ऐसा
इस धर्म का संस्थापक कौन है अभी विवादस्पद है क्योंकि विद्वान लोग इसे भारत की
संस्कृतियों और परम्पराओं का मिश्रण इसमें मानते हैं। इस धर्म के अनुयायी बहुत
से हैं और इस आधार पर इसे संसार का तीसरा बड़ा धर्म माना जाता है।
कई सारे देवी-देवताओं को मानने के बावजूद यह धर्म एक ईश्वरवादी है। इसके
अनुयायी भारत और नेपाल में हैं। इसके अलावा मॉरीशस में भी हैं। यह वेदों पर
आधारित है इसीलिए इसे वैदिक धर्म भी कहा जाता है। इण्डोनेशिया में इसे हिन्दू
आगम भी कहा जाता है। हिन्दू न केवल एक धर्म है बल्कि मानवता और एकता की पद्धति
पर जीवन जीने को बताता है।
हिन्दू धर्म का इतिहास
यह धर्म अत्यंत प्राचीन माना जाता है लेकिन अभी भी विवादस्पद है। इसको लेकर
अनेकों विद्वानों में अनेक मत हैं। आधुनिक इतिहासकारों के आधार पर इसकी
उत्पत्ति हजारों वर्षों पुरानी बताई जाती है।
वहीँ सिंधु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के सबूत मिलते हैं। जिनसे अनेकों देवी
– देवताओं की मूर्तियां प्राप्त हुईं हैं। इसी सभ्यता के अंत के दौरान मध्य
एशिया से एक अन्य जाती “आर्य” का जन्म हुआ। ऐसा कहा जाता है कि सिंधु घाटी
सभ्यता के लोग आर्य ही थे।
आर्यो की सभ्यता ही वैदिक सभ्यता है। लोगों के अनुसार लगभग 1700 ईसा पूर्व
आर्य कश्मीर, पंजाब, हरयाणा और अफगानिस्तान में आकर बस गए थे। तब उन लोगों ने
संस्कृत में वैदिक मंत्रो को लिखना शुरू कर दिया।
सर्वप्रथम इन लोगों ने चार वेदों की रचना की – ऋग्वेद, सामवेद,यजुर्वेद और
अथर्ववेद। जिसमें यजुर्वेद सबसे पुराना है। फिर इसके बाद उपनिषद की। हिन्दू
धर्म के अनुसार वेद और उपनिषद अनादि हैं।
भगवान की कृपा से अलग-अलग विद्वान ऋषि को अलग – अलग ग्रंथों का ज्ञान हुआ और
उन्होंने इसकी रचना की। कुछ समय बाद वैदिक धर्म में बदलाव आया। और भी अन्य
धर्म का विकास हुआ। नए देवी- देवता को माना जाने लगा और आधुनिक हिन्दू धर्म का
जन्म हुआ।
प्राचीन ऋषि मुनियों के अनुसार भारतवर्ष को हिन्दुस्थान नाम दिया गया था जो
बाद में हिंदुस्तान कहलाया। हिन्दू शब्द की उत्पत्ति सिन्धु व हिमालय शब्द से
मानी जाती है। हिमालय का पहला अक्षर ‘हि’ और इन्दु का ‘न्दू’ से ही
हिन्दुस्थान कहलाया।
इस समय वैदिक धर्म का ही अनुसरण किया जा रहा था और अन्य किसी धर्म का उदय नहीं
हुआ था। शुरुआत में लोग इसे अंग्रेजों द्वारा दिया गया शब्द मानने लगे। भाषा
का ज्ञान रखने वाले लोगों ने कहा है कि ‘स’ ध्वनि ईरानी भाषा के ‘ह’ में
परिपर्तित हो गयी है इसीलिए ‘सिंधु’ शब्द ‘हिन्दू’ में परिपर्तित हो गया।
यह पारसियों की भाषा अवेस्तन में परिवर्तित हुआ है। ईरानियों ने फिर लोगों को
हिन्दू नाम दिया। जबकि वेदों में, पुराणों में, शास्त्रों में हिन्दू धर्म
नहीं कहा गया है। इस धर्म को वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म कहा गया है।
हिन्दू धर्म के संप्रदाय और सिद्धांत
हिन्दू धर्म को लेकर कई लोगों के अनेकों विचार हैं। इसका कोई एक अकेला
सिद्धांत नहीं है। इस धर्म को अधिकतर हिन्दू ही मानते हैं। इसमें सभी को बराबर
श्रद्धा दी जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार सभी प्राणियों में आत्मा का निवास
होता है।
हिन्दू धर्म के चार प्रमुख सम्प्रदाय बताये गए हैं –
स्मार्त – जो भगवान के विभिन्न रूपों को एक ही मानते हैं।
शाक्त – जो देवी को मानते हैं।
शैव – जो शिव भगवान को मानते हैं।
वैष्णव – जो विष्णु भगवान को मानते हैं।
प्राचीनकाल और मध्यकाल के समय इन सम्प्रदायों में झगड़ा हुआ करता था। मध्यकाल
के संतों ने आपसी मतभेदों को सुलझाया।
हिन्दू धर्म के कुछ सिद्धांत हैं जो निम्न प्रकार हैं –
ईश्वर को एक माना गया है, जिनके अनेकों नाम हो सकते हैं।
ब्रह्म तत्व सम्पूर्ण विश्व में विद्यमान है।
ईश्वर से प्रेरणा मिलती है और उनसे प्रेम करना चाहिए।
स्त्री का सम्मान करना चाहिए।
परोपकार कीजिये, दूसरों को कष्ट मत दीजिये।
धर्म की रक्षा के लिए भगवान बार – बार इस धरती पर अवतार लेते हैं।
आत्मा अजर – अमर है।
गायत्री मन्त्र सर्वश्रेष्ठ है।
हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता
हिन्दू धर्म के पांच प्रमुख देवता माने गए हैं – सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति।
ये एक ही ईश्वर के अलग – अलग रूप हैं। देवताओं के गुरु बृहस्पति जी को कहा गया
है।
भगवान शिव जी की कठोर तपस्या से इन्हे देव गुरु का पद प्राप्त हुआ। इन्होने
अपनी शक्तियों से देवताओं की रक्षा की। इसके अलावा दानवों के भी गुरु हैं
शुक्राचार्य। ब्रह्म देव की कृपा से इन्हे शुक्र गृह के रूप में पूजा जाता है।
हिन्दू धर्म के अनुसार हर जीव में आत्मा का वास है। जो विकार रहित है।
श्रीमद्भगवद्गीता में आत्मा के बारे में बताया गया है –
न जायते म्रियते वा कदाचिन्नाय भूत्वा भविता वा न भूय:।
अजो नित्य: शाश्वतोऽयं पुराणो, न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।
अर्थात आत्मा का किसी काल में न जन्म होता और न ही ये मरती है। यह फिर उत्पन्न
होकर पुनः होने वाली नहीं है। यह जन्म रहित है, लगातार है और अनादि है। शरीर
का अंत होने पर भी यह नहीं मरती।
हिन्दू धर्म ग्रंथों की अगर हम बात करें तो इन्हे दो भागों में बांटा गया है –
श्रुति और स्मृति। श्रुति को सबसे बड़ा ग्रन्थ माना जाता है। जिसमें कोई बदलाव
नहीं किया जा सकता। स्मृति ग्रंथों को बदल सकते हैं।
ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद और उपनिषद ये सब श्रुति के अंतर्गत आते
हैं। प्रत्येक वेद के चार भाग हैं – संहिता मन्त्र, ब्राह्मण ग्रन्थ, आरण्यक
और उपनिषद। स्मृति की अपेक्षा श्रुति ज्यादा मान्य है।
स्मृति ग्रंथों में रामायण, महाभारत, श्रीमद भगवद्गीता, पुराण – 18,
मनुस्मृति, धर्म शास्त्र, आगम शास्त्र, भारतीय दर्शन के भाग – सांख्य, योग,
वैशेषिक, मीमांसा और वेदांत आदि हैं।
हिन्दू धर्म में विभिन्न तरह के देवी-देवताओं को मानते हैं। मूर्ती पूजा में
विश्वास रखते हैं। हिन्दू धर्म में कई तीर्थ स्थल हैं। आदिगुरु शंकराचार्य ने
चार पीठ (मठ) की स्थापना की थी जिनमें बद्रीनाथ, रामेश्वरम, पूरी जगन्नाथ और
द्वारिका पीठ हैं। यही चार धाम कहलाते हैं। हिन्दू धर्म के चार वर्ण बताये गए
हैं – ब्राह्मण, क्षत्रीय, वैश्य और शूद्र। सात्विक भोजन को अच्छा माना गया है।
इन्ही तरह की विभिन्न विशेष्ताओँ के कारण हिन्दू धर्म को श्रेष्ठ माना गया है।
हिन्दू धर्म में होने वाले त्योहार और परम्पराएं वास्तव में एकता, हर्ष और
सौहार्द का सन्देश देती हैं। हिंदुस्तान में हिन्दू धर्म का अपना एक अलग विशेष
स्थान है।
आयुष शुक्ला
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