कोई परिणाम नहीं मिला

    जहाँ चाह बड़ी होती है वहा मुश्किलें बड़ी नहीं होती है

    परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, इसे हम अपने बचपन से सुनते आए हैं और यह बात 
    पूर्णतः सत्य भी है। परिश्रम के बिना कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में सफल नहीं 
    हो सकता है। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना अति अनिवार्य है परंतु 
    परिश्रम भी व्यक्ति तभी कर सकता है, जब उसके अंदर सफलता प्राप्त करने की चाह 
    हो। बार-बार असफलता मिलने के पश्चात भी व्यक्ति परिश्रम इसलिए करता है क्योंकि 
    उसके अंदर सफलता प्राप्त करने की चाह होती है।
    यदि व्यक्ति अपने जीवन में कुछ करना चाहता है अर्थात उसकी कोई चाह होती है तो 
    चाह को पूरा करने के लिए मार्ग अर्थात राह अपने आप बन जाती हैं, जिसकी सहायता 
    से व्यक्ति अपनी चाह को पूरा कर सके। यदि उसकी राह में कोई बाधा आती भी है, तो 
    चाह प्रबल होने के कारण उस राह की जैसी अनेकों राह बन जाती है।
    चाह से परिश्रम का सीधा संबंध होता है क्योंकि मन जब कुछ चाहता है, तभी हम उस 
    चाह को पूरा करने के लिए परिश्रम करते हैं। इससे हमें यह पता लगता है कि मन 
    में यदि किसी चीज को प्राप्त करने की प्रबल इच्छा शक्ति है, तो व्यक्ति कठिन 
    संघर्षों के पश्चात भी उस चीज को प्राप्त कर सकता है। संघर्ष आपके मार्ग में 
    बाधा अवश्य उत्पन्न कर सकता है, परंतु आपका मार्ग बंद नहीं कर सकता।
    जीवन में सफल होने के लिए मन में चाह होना अति अनिवार्य है, बिना मन में चाह 
    के कोई भी व्यक्ति लगन के साथ कार्य नहीं कर सकता है। वह उस कार्य को बाहरी मन 
    से ही करेगा, जिसके परिणाम स्वरूप उसका सफल होना लगभग असंभव है। मन में किसी 
    चीज की चाह होने से उस चाह को प्राप्त करने के मार्ग अपने आप खुल जाते हैं। 
    दृढ़ इच्छा शक्ति वाला व्यक्ति असफल होने के पश्चात अपना लक्ष्य नहीं, उस 
    लक्ष्य को प्राप्त करने का तरीका बदलता है।
    जिन चीज़ों को प्राप्त करना असंभव है उन्हें दृढ़ इच्छा शक्ति और मे�

    जिन चीज़ों को प्राप्त करना असंभव है उन्हें दृढ़ इच्छा शक्ति और मेहनत से 
    आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। तो, हम उन चीजों को संभव कर सकते हैं जो 
    हमारी निरंतर कड़ी मेहनत के माध्यम से असंभव हैं। हम सभी में आंतरिक इच्छा 
    शक्ति, दृढ़ संकल्प, समर्पण और कड़ी मेहनत की क्षमता है।
    हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने की जरूरत है और रास्ते की सभी कठिनाइयों को 
    पार करके लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमारे भीतर ऐसी प्राकृतिक शक्तियों का 
    विकास करना है। हमें परम जीत पाने के लिए अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने 
    की आवश्यकता है क्योंकि जहां चाह वहां राह अवश्य होती है।
                                                  - SHIWAM PRASAD.

    एक टिप्पणी भेजें

    Thank You for giving your important feedback & precious time! 😊

    और नया पुराने

    संपर्क फ़ॉर्म