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    मनुष्य होने और मानव बनने के बीच का लम्बा सफर ही जीवन है

    मानव शब्द मानवता से उद्भूत होता है जिसका अर्थ है मानव और प्राणी मात्र के 
    प्रति दयालुता मनुष्य
    मनुष्य से मानव बनने के बीच मे मूलभूत अन्तर के मूल्यों
    के संवर्धन का है जिसमें स्व के भाव से हटकर पर के भाव को प्राथमिकता देने की 
    प्रवृति अपरिहार्य है इसमे जीवन यापन की प्रवृति से आगे बढ़कर समाज और देश व 
    वैश्विक कल्याण के प्रति संवेदनशील होने की प्रवृति शामिल है इस कल्याणकारी 
    प्रवृति में मानव कल्याण के साथ साथ पर्यावरणीय समृद्धि के साथ अन्य जीव 
    जंतुओं के कल्याण और सभी वंचित वर्गों व पीड़ितों, जैसे- पिछड़े, दलित, 
    महिलाओं आदि के उत्थान से संबंधित क्रियाविधि शामिल है इस तरह बिना किसी
    भेदभाव सभी मानवों व प्राणी मात्र के हितों को साधने हेतु प्रयासरत रहना तथा 
    सर्वे भवन्तु सुखिनः के दृष्टीकोण पर कार्य करना ही मानवता की परम सेवा है 
    किसी की खुशियो का कारण बनकर स्वासंतोष की अनुभूति भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा 
    है किन्तु इस दौरान manav बनने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल भी है वस्तुतः इसमें 
    इस बात का जीवनपर्यत ध्यान रखा जाना चाहिए कि जो भूमिका व्यक्ती विशेष द्वारा 
    निष्पादित की जा रहीं है उसकी महत्वाकांक्षी मानवता के लक्ष्यों के ऊपर हाबी 
    नहीं होनी चाहिए मानव जीवन अपूर्णता से भरा हुआ है और उस अपूर्णता के साथ जीवन 
    को संचालित करना तथा उससे सीख लेना मानव होने का अभूतपूर्व लक्षण है इसीलिए हम 
    कह सकते हैं कि मानव होना एक अति शहज़ संयोग है वस्तुतः जन्म के समय पर हर 
    इंसान एक साधारण मनुष्य ही होता है, जीवन के विविध चरणों में उसे परिवार, 
    समाज, मित्र समूह , शिक्षा और संस्कृति आदि से प्राप्त होने वाले अनुभव और 
    मूल्य ही उसे गांधी और हिटलर बनाते है किन्तु यह कतई अवश्य नहीं है कि हर 
    इंसान, केवल इन्हीं दो वर्गो में ही शामिल होता है वरन एक साधारण मूल्यों और 
    स्व के भाव के साथ जीवनयापन करने वाला एक आम इंसान जिसे मानवता के संरक्षण या 
    नुकसान का कोई खास फर्क़ नहीं पड़ता, भी इंसानी बिरादरी का अभिन्न अंग है हर 
    इंसान मे कुछ न कुछ अच्छी और बुरी आदत होती है और अपनी अंदर की नकारात्मकता, 
    लालच, ईर्ष्या, स्वार्थीपन आदि का त्याग करके करुणा , दयालुता, सहानुभूति 
    क्षमा आदि को बढ़ावा देकर मनुष्य होने से मानव बनने की प्रक्रिया को सुकर् 
    बनाया जा सकता है
                                              ---आदर्श मिश्रा

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