स्वयं पर विस्वास

भगवान उन्ही की मदद करता है जो खुद की मदद करते हैं’ इस कहावत का अर्थ है कि 
कोई भी खुद ही अपनी मुश्किलों से बाहर निकल पाने में सक्षम होता है। यहां तक ​​
कि भाग्य, किस्मत, या तथाकथित दैविक चीजें; सिर्फ उन लोगों को ही दिखाई देती 
हैं जो लगातार खुद को मुखर कर रहे हैं। उन लोगों के लिए जो एक प्रयास तक नहीं 
करते हैं, बल्कि बैठे रह कर अपनी परेशानियों का इश्वर द्वारा हल किये जाने का 
इन्तजार करते हैं; भगवान कभी भी किसी भी रूप में उनकी मदद के लिए नहीं आते और 
इस तरह से उनकी समस्याएं केवल बड़ी हो जाती हैं
भगवद गीता में एक लोकप्रिय श्लोक है जिसमें कहा गया है, "आपको अपने निर्धारित 
कर्तव्यों को पूरा करने का अधिकार है, लेकिन आप अपने कर्मों के फल के हकदार 
नहीं हैं। कभी भी अपने आप को अपने कर्मों के फल का कारण मत समझो और न ही अकर्म 
में आसक्त रहो।तथ्य यह है कि जब हम परिणामों के बारे में असंबद्ध होते हैं, तो 
हम अपने प्रयासों पर बेहतर ध्यान केंद्रित करते हैं और परिणाम अपेक्षा से काफी 
बेहतर होता है।हर कोई चाहता है कि वो अपने जीवन में सफल हो और इसके लिए 
आत्मविश्वास का होना बेहद आवश्यक है। चाहे कोई काम करना हो या फिर किसी विषय 
पर निर्णय लेना हो, सबके लिए व्यक्ति के अंदर मनोबल का होना महत्वपूर्ण है। 
अगर व्यक्ति आत्मविश्वास से भरपूर होगा, तो ही किसी काम में कामयाबी हासिल कर 
सकता है।
भरोसे के बल पर ही इंसान अपनी जिंदगी में आगे बढ़ सकता है, हमें अपने लक्ष्यों 
को पा लेना का भरोसा रखना चाहिए और खुद पर हमेशा यकीन रखना चाहिए। इसके साथ ही 
हमें उस व्यक्ति का भरोसा कभी नहीं तोड़ना चाहिए जो हम पर पर भरोसा रखता है। 
भरोसे के बल पर रिश्तों को मधुर बनाया जा सकता है और प्रेम पूर्वक जीवन का 
निर्वाह किया जा सकता है।किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि आप जिस काम को चाहते 
हैं तो उसमें अपना विश्वास रखे और तो उसमें अपना विश्वास रखे और उसे करना जारी 
रखें, क्योंकि यही भरोसा आपको वहां तक ले जाएगा, जहां आपको जाने की जरूरत है। 
इसलिए हम सभी को पूर्ण विश्वास के साथ हर काम को करना चाहिए और इसके फल की 
चिंता नहीं करनी चाहिए। अंततः गोर्की ने कहा है, ‘आत्मविश्वास रखो कि तुम 
पृथ्वी के सबसे आवश्यक मनुष्य हो’। डेल कार्नेगी उपाय बताते हैं कि ‘वह काम 
करो, जिसको करते हुए तुम डरते हो।’
                                                -- अनुराग मिश्रा

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