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    सुख - समृद्धि सच्चे सेवकों के भाग्य में नहीं होता है,लेकिन उनके जीवन में शांति अवश्य होती है

     विभूतियों के उदाहरण को उठा कर देख लें उन्हें अपने जीवन में सुख - समृद्धि नसीब नहीं हुई लेकिन वे लोंगो के कल्याणार्थ अनवरत कार्य करते रहे चाहे वह आध्यात्मिकता, धार्मिकता या सामाजिकता का क्षेत्र ही क्यों न हो?
    ऐसे जीव विरले ही होते हैं जो लोंगो की समस्याओं और परिस्तिथियों को समझते हुये और अपने आत्म ज्ञान की बदौलत लोंगो में चेतना की संचार करते हैं और उनकी द्वारा कही बातें अकाट्य होती है क्योंकि उनके पास ग्रंथों का अध्ययन तो होता ही है और साथ में उनकी चिंतन भी और ऐसे लोग ही महापुरुषों की श्रेणी में होते हैं जिनके मार्ग का अनुसरण लोंगो को अपने जीवन में अपनाकर अपने जीवन को सुलभ एवं सफल बनानी चाहिए।
    कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है और यह शक्ति केवल देवों - देवियों के पास होती है लेकिन मानव हमेशा से विवेकशील और प्रयत्नशील प्राणी रहा है और अपनी पूर्णता हेतु प्रयासरत और ऐसे मानव निश्चित रूप से महापुरुषों की श्रेणी में आते हैं और उनमे स्वामी विवेकानंद,महर्षि देवराहा बाबा, स्वामी दयानन्द सरस्वती, महर्षि अरबिंदो, राजा राम मोहन राय, रवीन्द्रनाथ टैगोर, आदि शंकराचार्य, आचार्य रामानुज, आर्यभट्ट, अहिल्याबाई होल्कर इत्यादि आते हैं।
    महापुरुषों में क्रांतिकारी भी आते हैं जिनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, खुदी राम बोस, चन्द्रशेखर आजाद, बटुकेश्वर दत्त, लाला लाजपत राय, सरदार बल्लभ भाई पटेल, महारानी लक्ष्मीबाई, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी इत्यादि आते हैं।
        आगे अजीत सिन्हा ने कहा कि आज हम अपने महापुरुषों को इस लिए याद कर रहे हैं कि ये सभी हम भारतवासियों के पूर्वज थे और पितृ पक्ष में पूर्वजों को याद कर उनके प्रति विभिन्न साधनों से श्रद्धा की अंजलि देना हर भारत वासियों का कर्तव्य है जिनकी बदौलत आज अपना सनातन धर्म अपने ऊँचाइयों पर है जिनमे ऋषि - संत - धर्म सेवक - समाज सेवक - राष्ट्र सेवक सभी आते हैं। 
    आज उन विभूतियों को भी हृदय से नमन करते हैं जिनकी प्रयास से भारत विश्व गुरु था और आगे पुनः बनने के लिये प्रयासरत है। हमें गर्व है अपने देश के वैज्ञानिकों पर भी जिन्होंने लोंगो के जीवन को सरल करने के लिए कई तरह के अविष्कार किये, हमें गर्व है उन पूर्वज समाज सेवकों पर भी जिन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग के उत्थान में अपना महत्तवपूर्ण योगदान दिये, हम आभारी हैं उन वीरों की जिनकी वजह से हमने आजादी पाई, हम आभारी हैं उन दिवंगत माताओं की भी जिन्होंने ऐसे वीरों को जन्म दिया, हम आभारी हैं उन विभूतियों की जिनकी बातें युगों - युगों तक प्रासंगिक रहेगी, हम आभारी हैं उन राष्ट्र सेवकों की जिन्होंने बिना स्वार्थ इस राष्ट्र की सेवा की। स्मृति में शेष बचे सभी महापुरुषों को एक बार फिर याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं क्योंकि उनके गौरव की गाथा युगों - युगों तक याद की जाएगी और लोंगो को सुनाई जाएगी। 
    पितृ पक्ष अर्थात् पिता का पक्ष वंशानुगत तो होता ही है इस पक्ष में अपने कुल के पूर्वजों के साथ वैसे महान पूर्वजों स्वरुप महापुरुषों को याद कर उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना ही किसी भी पुत्र या पुत्री का कर्तव्य होता है। 

    :- अजीत सिन्हा

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