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    2024 के पहले रण नीति बनानी ही होगी

     कांग्रेस, सपा, बसपा, आरजेडी आदि पार्टियों की इस्लामिक तुष्टिकरण की कुटिल नीति से तंग आकर जन _मानस ने 2014, एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में और इस बीच हुए विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं के चुनाव में भाजपा को प्रचंड मत देकर सत्ता सौंप दी, परंतु पिछले 08 वर्षों के कार्यकाल से यह स्पष्ट है कि भाजपा भी अन्य पार्टियों जैसी ही सत्ता की लालची है, इसे भी देश हित की कोई चिंता नहीं है।
        अगर पिछले 08 वर्षो के कामों का लेखा _जोखा किया जाय तो धारा 370 और राम मंदिर के अलावा कोई भी ठोस देश हित का कार्य नजर नहीं आता, हां विदेश नीति मे भारत पहले से अधिक प्रभाव शाली भूमिका निभा रहा है।
           इन कुछ गिने _चुने अच्छे कामों के बदले हिंदू _मुस्लिम मे मतभेद, अगड़े, पिछड़े, दलित वाद से हिंदुओ मे मतभेद के कारण आपसी भाई चारा बिल्कुल भी नहीं बचा है । समाज मे गृह युद्ध की स्थित निर्मित हो रही है।
         Sc,st एक्ट का जिस तरह से दुरुपयोग हो रहा है, उससे समाज में भय और आतंक का माहोल व्याप्त है, जातिगत आरक्षण से पीढ़ी दर पीढ़ी मात्र 10% लोग ही अपनी पेटी _ पेटा और कोठी _कोठा भर रहे हैं ,असली वंचित, शोषित, पीड़ित अभी भी घोटुल जैसी परंपराओं में जकड़ा हुआ है,। ओबेसी और मदनी जैसे मुस्लिम नेता अपने बच्चों को तो विदेशों में पढ़ने भेजते हैं, लेकिन आम मुस्लिमों को मदरसे से जोड़ कर रखना चाहते हैं, सम्पन्न मुस्लिम परिवार की लड़किया अच्छे स्कूलों में पढ़ती हैं, आधुनिक परिवेश, फैशन में रहती हैं, लेकिन आम मुस्लिम लड़कियों को हिजाब में उलझा के रखना चाहते हैं, ताकि ये लोग पढ़ लिख कर मुख्य धारा से न जुड़ने पाएं और हमारे वोट बैंक बने रहें ।
         भाजपा ने तो अघोषित रूप से राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधान मंत्री तथा अधिकांश मंत्री और प्रदेशों के अधिकांश मुख्य मंत्रियों के पदों को भी आरक्षण की भेट चढ़ा दिया है। योग्यता की कहीं भी पूछ _परख नहीं है। सारी योजनाएं जाति के नाम से बन रही हैं, इस कारण कुछ चतुर _चालाक लोग इसका फायदा उठा रहे हैं, बाकी लोग उनके वोट बैंक बने हुए हैं।
         ऐसी स्थिति में सच्चे राष्ट्र भक्तों को आगे आना होगा। जितनी भी राष्ट्र भक्त पार्टियां बनी है, जो sc,st एक्ट और जातिगत आरक्षण समाप्त करना चाहती हैं तथा वास्तविक रूप से "सबका साथ, सबका विकास "करना चाहती हैं, जिन्हे देश हित मे जनसंख्या नीति, समान नागरिक संहिता, गो बध प्रतिबंध, धर्मांतरण निषेध आदि विषयों मे वैचारिक समानता है,उन्हें एक संयुक्त मोर्चा बनाना होगा। सुभाष पार्टी, राष्ट्रीय विकास पार्टी, राष्ट्र वादी पार्टी, जनसत्ता दल, प्रताप पार्टी, पब्लिक पिपुल पार्टी, जय हिंद पार्टी,RJAVP, समता पार्टी, समानता पार्टी, अपना समाज पार्टी एवं अन्य पार्टियों को एक संयुक्त मोर्चा बनाना चाहिए, जिस क्षेत्र में जो पार्टी मजबूत है उसे उस क्षेत्र के 10 लोकसभा क्षेत्र आवंटित कर दिए जाय, और वह पार्टी अपने क्षेत्र के दसों उम्मीदवार गुप्त रूप से घोषित कर दे, इस प्रकार अगर दस पार्टियों का भी संयुक्त मोर्चा बनता है तो कुल 100 सीटों पर ही चुनाव लड़वाया जाय, और जीतने का पूरा प्रयास किया जाय, सभी मतदाताओं तक पहुंचा जाय, उन्हें देश की स्थित से अवगत करवाया जाए, भले ही ज्यादा शोर _शरावा न हो, साधन कम हों, लेकिन एक वर्ष के अंदर प्रत्येक पोलिंग बूथ तक जरूर पहुंचा जा सकता है ।
         अगर इस तरह के संयुक्त प्रयास से 40_50 सांसद भी चुने जाए तो सरकार पर दबाव बनाया जा सकता है।
          वर्तमान सरकार के काम _काज की नीति से कोर वोटर जो सिर्फ 10% ही हैं, के अलावा पूरा सवर्ण समाज नाराज है, मुस्लिम तो पहले से ही नाराज हैं, दलित और ओबीसी को असलियत समझाने पर आधे वोट मिल सकते हैं,। इसी तरह कांग्रेस के कोर वोटर जो  10%  हैं, तथा सपा, बसपा, आरजेडी, टीएमसी, आदि के कोर वोटर भी 10% से ज्यादा नहीं हैं, कहने का तात्पर्य यह है कि वर्तमान मे प्रतिष्ठित प्रमुख राजनीतिक दलों के 30% कोर वोटर के अलावा 70% वोटर को समझा कर अपने पक्ष में किया जा सकता है, अगर इस 70% मे से एक चौथाई वोट भी मिलते हैं तो बहुत कुछ किया जा सकता है।
          जितने भी राष्ट्र भक्त जैसे रवींद्र जेठारी , अजय तिवारी, सर्वेश पाण्डे, राजा भैया, अशोक श्रीवास्तव, डा अनूप श्रीवास्तव, डा अमल श्रीवास्तव, अजीत सिन्हा, राजकिशोर लाल, भूतपूर्व बलिया विधायक सुरेंद्र सिंह, त्रिलोक तिवाड़ी, विनोद तिवारी, राजन सिंह, अमर सिंह, प्रकाश तिवारी, दीपमाला श्रीवास्तव, अरुणेश मिश्र, मनोज कुशवाहा, दीप राज शर्मा, ईश्वर सिंह राजपूत, राजेंद्र द्विवेदी एवं अन्य मनीषी, समाज को जगाने में लगे हुए हैं, तथा विभिन्न सामाजिक संगठन जैसे कायस्थ समाज, जय क्रांति सेवा मिशन, ब्रम्ह समाज, करणी सेना, क्षत्रिय समाज, वैश्य समाज, अग्रवाल समाज, ब्राह्मण समाज, आदि के मुखिया तथा विभिन्न  राजनीतिक दलों के असंतुष्ट नेता गण जैसे वरुण गांधी, डा सुब्रमणियम स्वामी, चिराग पासवान अगर मिलकर एक जुट होकर उपरोक्त बातों पर विचार करके योजना बनावें तो कुछ भी असंभव नहीं है।
         इस मुहिम में पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, पूर्व मेजर जनरल गिरीश बक्शी, सिन्हा जी, बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पाण्डे, पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ, अश्वनी उपाध्याय, सभी शंकराचार्य एवं विभिन्न धर्म गुरुओं, को भी जोड़ा जा सकता है ।


    :- डा शिव शरण श्रीवास्तव "अमल "

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