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    भ्रष्टाचार के खात्मे से ही भारत विकसित राष्ट्र बन सकेगा

    भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश के विकास की जो गति होनी चाहिए, वह नहीं हो पा रही है।देश का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां भ्रष्टाचार नहीं है। राजनीतिक पार्टियां भ्रष्टाचार रोकने के वादे के साथ चुनाव मे उतरती हैं परंतु सरकार बनते ही वे भी भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मानने लगती हैं। पिछले दिनों अन्ना हजारे के नेतृत्व मे जन लोकपाल बिल बनाने को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन हुआ था, लेकिन आंदोलन के बल पर सत्ता प्राप्त करते ही, जनलोक पाल की कोई चर्चा ही नहीं की जाती है।  भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगे इसके लिए जनता ने भी बार-बार आंदोलन किया है, लेकिन कोई भी हल नहीं निकला है।
             भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह चाट रहा है। घोटालों और रिश्वतखोरी ने देश को काफी पीछे धकेल दिया है। अगर  हालात ऐसे ही बने रहे तो देश को गर्त में जाने से कोई नहीं बचा सकता है ।
      
               भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है- भ्रष्ट आचरण, जो कि दो शब्दों से मिलकर बना हैं. भ्रष्ट और आचरण इसका अर्थ है कि ऐसा आचरण जो किसी भी दृष्टि में अनैतिक और अनुचित हो अर्थात जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था या सामाजिक व्यवस्था के मान्य नियमों के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता हैं. तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता हैं । इस तरह देखा जाय तो भ्रष्टाचार का अर्थ बहुत ही व्यापक है, इसमें हर गैर कानूनी और गैर सामाजिक कृत्य समाहित हो जाता है, परंतु आजकल सामान्यतः आर्थिक अपराध को ही भ्रष्टाचार की परिधि में रखा जाता है।
             भ्रष्टाचार के कारणों को सभी जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एक बार समस्या का कारण पहचानने के बाद उसके समाधान मे सरलता हो जाती है, परंतु भ्रष्टाचार के मावले में यह युक्ति सही नहीं प्रतीत होती है। 

                      भ्रष्टाचार के चलते विकसित भारत की बात करना कोरी कल्पना के अलावा कुछ नहीं है। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए   अच्छे रोजगार के अवसरों की वृद्धि के साथ ही  जनसंख्या की बढ़ती दर को नियंत्रित करना आवस्यक है। इसके अलावा प्रत्येक नागरिक को जागरूक होना पड़ेगा ताकि कोई भी अपराधी प्रवृति का व्यक्ति चुनाव न जीतने पाए । राजनीतिक शुचिता हो जाने से भ्रष्टाचार की आधी समस्या से निजात पाई जा सकती है। इसी तरह, भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए हर छोटे से छोटे पहलू पर काम करना होगा।

           सरकार को  भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए क्योंकि  देश की प्रगति इसके बिना संभव नहीं है।
           हमारे देश में भ्रष्टाचार का स्तर अधिक होने के कई कारण हैं। जैसे नौकरी के अवसरों की कमी, जातिगत आरक्षण, प्रमोशन में आरक्षण, सख्त सजा का अभाव, शिक्षा की कमी, नैतिक शिक्षा का अभाव, लालची प्रवृत्ति, पहल करने के साहस की कमी, भुज _बल, धन _बल, छल _बल का प्रभाव, राजनीति को अपराधी करण से मुक्त होने की कोई नीति नहीं होना, राजनीति में भुज _बल, धन _बल, छल _बल का प्रभाव, मतदाताओं का जागरूक न होना, काम करवाने की शार्ट कट पद्धति, आदि।
                इन सभी समस्याओ का निराकरण करके ही भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकती है, और तभी विकसित भारत का सपना पूरा हो हो सकता है।  हमारे देश के सभी नेता तथा उच्च पदाधिकारी अपने पदो का सदुपयोग जनता के कल्याण के लिए करें, आम नागरिक अपनी जिम्मेवारी को समझें, अपने मत की कीमत पहचानें, देश के सभी नियम, कानूनों को माने, सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें तो भारत भ्रष्टाचार से मुक्त होने के साथ ही साथ विकसित भारत भी बन सकता है।

    डा शिव शरण श्रीवास्तव "अमल "

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