अक्सर ऐसा कहने, सुनने को मिलता है कि साक्षरता बढ़ने से समझदारी बढ़ती है और फिर अंध विश्वास, मूढ़ मान्यताएं कम हो जाती हैं, लेकिन केरल जैसे सबसे ज्यादा साक्षरता वाले राज्य में हो रही काला जादू, तंत्र _मंत्र _यंत्र, टोना _टोटके, आदि नाम से क्रूर हत्याएं कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं।
आजादी के बाद से अब तक 08 नर बलि के अमानवीय कृत्य अकेले केरल जैसे राज्य से ही सामने आ चुके हैं, वैसे ये आंकड़े सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक हैं, जो आंकड़े सरकार के सामने नहीं आए होगें उनकी संख्या और भी ज्यादा हो सकती है।
अभी हाल में ही 02 महिलाओं का अपहरण कर उनके टुकड़े_टुकड़े करने की पाश्विक घटना ने संपूर्ण मानव समाज को झकझोर के रख दिया है।
पूरे विश्व में ईसाई समाज सबसे ज्यादा शिक्षित माना जाता है, लेकिन उस समाज में भी कई तरह की मूढ़ मान्यताएं प्रचलित हैं।
इसी प्रकार के अंध विश्वासो के संदर्भ में डा शिव शरण श्रीवास्तव "अमल"जी की कविता प्रस्तुत है।
"अंध विश्वास _निवारण"
जगदीश्वर ने जगत बनाया,
मिल_जुल कर के रहने को।।
सुख मे, दुःख मे, एक_दूसरे,
के सहभागी बनने को।।
जीवन कैसे जिया जाय,
इस हेतु धार्मिक नीति बनी।
सभी प्राणियों के न्यायोचित,
शुद्ध_सात्विक रीति बनी।।
लेकिन मानव धीरे_धीरे,
स्वार्थ वृत्ति से ग्रसित हुआ।
उल्टी_सीधी चालें चलकर,
बन एकाकी पतित हुआ।।
लोभ, मोह, माया मे फसकर,
मानवता को छोड़ दिया,
धर्म त्यागकर के अंधे,
विश्वासों से गठजोड़ किया।।
आडंबर का जाल बिछाकर,
कैसे छान रहे मस्ती।
अंधे विश्वासों के रंग मे,
रंग डाली बस्ती_बस्ती।।
स्वाद के लिए बेजुबान,
पशुओं की बली चढ़ाते हैं।
आस्था बनी रहे इस कारण,
धार्मिक कृत्य बताते हैं।।
आतंकी गतिविधियों को,
आदेश खुदा का कहते हैं।
इससे जन्नत मिलती है,
यह झूठ प्रचारित करते हैं ।।
बात बहत्तर हूरे की कर,
जेहादी बन जाते हैं।
निर्दोषों का लहू बहा,
भीषण उत्पात मचाते हैं।।
बुर्के, पर्दे मे ढक कर,
नारी को भोग्या बना दिया,
बच्चे जनने तक सीमित कर,
अबला कहकर डरा दिया।।
भूत_प्रेत, जादू_टोने का,
भय दिखलाया जाता है।
मंत्र_तंत्र की दिव्य शक्ति ,
को, ढोंग बताया जाता है।।
इस कारण से भोले_भाले,
लोग भ्रमित हो जाते हैं ।
अंधमान्यता और धर्म मे,
भेद नहीं कर पाते हैं।।
बाल विवाह, देव दासी ,
जैसे, प्रसंग भी मिलते हैं।
कई तरह के टोने_टोटके,
हर समाज मे चलते हैं।।
छूने, नन बनने,प्रेयर से,
पाप_ताप सब कट जाते।
कई तरह के भ्रम फैलाकर,
धर्म_अंतरण करवाते।।
वेक्सीन के बारे मे भी,
तरह, तरह की बातें हैं।
नारी बांझ, नपुंसक नर हो,
बिना मौत मर जाते हैं।।
और बहुत सी बेहूदी बाते,
फैली हैं मनमानी।
नाम आस्था के फसते जन,
करते जाते नादानी।।
बुद्धि जीवियों, सत्य प्रेमियों,
को आगे आना होगा।
धर्म , आस्था, आडंबर का,
अंतर समझाना होगा।।
डा शिव शरण श्रीवास्तव "अमल"