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    इस जन्म में है वो बात नहीं -सचिन गोयल

    राम चरित्र करूँ वर्णन
    इतनी मेरी औकात नहीं
    लेने होंगे मुझे जन्म कई
    इस जन्म में है वो बात नहीं
    श्री राम प्रभु हैं नारायण
    उनसे ही व्याप्त सृष्टि का कण कण
    माटी के इस नश्वर तन को
    करता हूँ उन्हीं को मैं अर्पण
    उनके जीवन को लिख पाऊं
    वो सब मुझमें जज़्बात नहीं
    लेने होंगे मुझे जन्म कई
    इस जन्म में है वो बात नहीं

    श्री राम पिता की आज्ञा को
    अपने सिर पर ले धार चले
    जहाँ दूर तलक ना हो प्राणी
    ख़ुद लेकर वो मझधार चले
    गौतम नारी अहिल्या तारी
    जिसके थे पति भी साथ नहीं
    लेने होंगे मुझे जन्म कई
    इस जन्म में है वो बात नहीं

    शिव धनुष तोड़,उंगली से मोड़
    प्रत्यंचा उसपे चढ़ाने लगे
    वर के जनक दुलारी को
    रघुकुल का मान बढ़ाने लगे
    निज पराक्रम से ताड़का मारी
    किया कोई भी छल घात नहीं
    लेने होंगे मुझे जन्म कई
    इस जन्म में है वो बात नहीं

    © सचिन गोयल
    गन्नौर शहर,सोनीपत
    Insta@,,
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