*भूकम्प*(बाल कविता)
*मैं सोया था मम्मी पापा संग,*
*खिड़कियों में आपस में होने लगी जंग।*
*पलंग हमारा जोर-जोर से हिलने लगा,*
*मैं बहुत डरा मम्मी से चिपकने लगा।*
*पापा ने मुझे जल्दी से गोद में उठाया,*
*दादा-दादी को भी तुरंत जगाया।*
*सबको घर से बाहर खुले में पहुंचाया,*
*पड़ोसियों का हुजूम भी उधर ही आया।*
*मेरा दिल बहुत ही घबराया,*
*पापा ने मुझे प्यार से समझाया।*
*बेटा यह भूकंप का झटका था,*
*घर न गिर जाए दिल में खटका था।*
*इंसान यूं ही प्रकृति से करता रहा खिलवाड़,*
*एक दिन सब कुछ हो जाएगा उजाड़।*
*शैलेंद्र सिंह शैली*
*महेंद्रगढ़,हरियाणा।*