*ओज के रोज*
*जय सनातन*
*भाद्रपद, कृष्णपक्ष, एकादशी*
*संवत २०८०*
*१० सितंबर, २०२३, रविवार*
*सुप्रभात*
*निर्गुण दोहे*
*ज्यों ज्यों बढ़ती है समझ, रहे मौन इंसान।*
*हो जाए वाचाल जब, जानो है अभिमान।।*
*अधजल गगरी नीर की,मारे तेज उफान।*
*शान्त चित्त रहते सदा,जो होते गुण खान।*
*कथनी - करनी एक हो, तब बनते हैं बात।*
*भाव सदा अनुपम रहे,महक जगत दिन-रात।।*
*जलधर बरसे जोर से,समय-समय में खास।*
*प्रेम कभी मरता नहीं, जगत होत मधुमास।।*
✍️ राहुल सिंह ओज