कोई परिणाम नहीं मिला

    कृष्ण लीला

    *कृष्ण लीला*
    ***********
    खॆले खेल निराले तुमने अजब,गजब किए तुमने काम
    सबको खुश किया तुमने कन्हैया मुरली मनोहर मेरे श्याम।

    बंशी बजाई गऊएं चराई ग्वाल,वाल संग किया धमाल
    मटकी फोड़ी माखन चुराया गोपी रिझाई तुमने श्याम।

    अघासुर मारा बकासुर मारा पूतना का किया काम तमाम
    कंस मार निज लोक पहुंचाया सबका किया तुमने कल्यान।

    नंद, यशोदा को खूब झिकाया उनको सुख दीन्हा अभिराम
    खेल,खेल में लीला रचदी मुंह में दिखलाया ब्रह्माण्ड।

    काली नाग का मर्दन कीन्हा यमुना जल को पावन कीन्हा
    गोवर्धन पर्वत को उठाया इन्द्र देव का घटाया मान।

    ब्रह्मा जी ने लीन्ही परीक्षा लेगये ग्वाल,वाल निज धाम
    गोपी,ग्वाल बनाए फिर से नया बसाया बृज का धाम।

    चारों धाम बसाए बृज में मात,पिता का रखा मान
    नमन तुम्हें करते हैं तुमने बृज को बनाया तीर्थ स्थान।

    राधा के संग रास रचाया हर गोपी संग दीखे श्याम
    परम आत्मा से मिलवाया तुमने किया सबको निष्काम।

    भोले बाबा रास मै आए पहन के गोपी के परिधान
    तुमने आंखों ही आंखों में अपने प्रभु को किया प्रणाम।

    ज्ञानवंत उधो को तुमने खूब गवाया प्रेम का गान
    ज्ञानी उधो भूल गए सब मस्ती में गाएं राधे श्याम।

    मित्र सुदामा के दुख टारे अश्रु धार से चरण पखारे
    तुमने मित्रता खूब निभाई निर्धन बना दिया धनवान।

    द्रोपदी ने तुम्हें पुकारा मेरी लाज बचाओ आन
    तुमने लाज बचाई आकर दुशासन फिर हुआ हैरान।

    शिशुपाल ने दी सौ गाली तुमने नहीं दिया कुछ ध्यान
    एक सौ एक वीं गाली दी जो शीश काट दिया तुमने श्याम।

    गीता ज्ञान दिया अर्जुन को कुरुक्षेत्र में तुमने श्याम
    कर्म धर्म है धर्म कर्म है इस जीवन में कर्म प्रधान ।
    -गोपी साजन

    एक टिप्पणी भेजें

    Thank You for giving your important feedback & precious time! 😊

    और नया पुराने

    संपर्क फ़ॉर्म