मेरे अंतर्मन की पीड़ा
मुझको ख़ुद सहनी होगी
कोई नहीं है मेरा जग में
ख़ुद ही ख़ुद से कहनी होगी
मेरे अंतर्मन की पीड़ा,,
कुछ बातें हैं मुझको खाती
मेरे ह्रदय में चुभती जाती
जितनी उनसे आँख छुपाऊँ
उतना भीतर घुसती जाती
दर्द का लावा बहता जाए
कानों में कुछ कहता जाए
मरते दम तक सारी पीड़ा
दिल में छुपाकर रखनी होंगी
कोई नहीं है मेरा जग में
ख़ुद ही ख़ुद से कहनी होगी
मेरे अंतर्मन की पीड़ा,,
गर जीना है जी भरकर तो
रिश्ते नाते साथ चलेंगे
कुछ अपने बनकर सँग तेरे
चुपके चुपके तुझे छलेंगे
बहुत कठिन होता है जीवन
करना पड़ता तनमन अर्पण
कर ना सकेगा कुछ सचिन पर
अनदेखी सब करनी होगी
कोई नहीं है मेरा जग में
ख़ुद ही ख़ुद से कहनी होगी
मेरे अंतर्मन की पीड़ा,,
मेरे अंतर्मन की पीड़ा
मुझको ख़ुद सहनी होगी
कोई नहीं है मेरा जग में
ख़ुद ही ख़ुद से कहनी होगी
मेरे अंतर्मन की पीड़ा,,
© सचिन गोयल
गन्नौर शहर,सोनीपत,हरियाणा