*** बच्चे मन के सच्चे***
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जो जी में आया कह देते बच्चे मन के होते सच्चे
भले बुरे का ज्ञान न इनको बच्चे तो होते हैं बच्चे।
रंग,बिरंगे फूल हैं ये सब खुशियों में नहलाते है
नटखट हैं खटपट करते हैं सबका दिल बहलाते हैं।
अंदर,बाहर एकसे हैं ये दिल,दिमाग में भेद नहीं
मन में कोई मैल नहीं है गलती पर कोई खेद नहीं।
लड़ते,झगड़ते रहते हैं ये फिर भी ये खुश रहते हैं
अपना,पराया ये नहीं जानें अपनी मस्ती में रहते हैं।,,,, -गोपी साजन