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    चुनावी हलचल

    चुनावी हलचल
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    अनैतिक कमाई नहीं हो रही इनकी
    इसलिए भिड़ भिड़ा रहें हैं ये सारे।
    गलत काम से जो भी की थी कमाई
    उसी माल से तो ये सजे संवरे सारे।।

    शासन किया माल खाया था मिलकर
    उसी से ये मालदार हुए सारे के सारे।
    बांटी गरीबी किया कुछ न अब तक
    राजे शराफत अब खुल रहे इनके सारे।।

    इनकी वजह से तरक्की हुई न बिलकुल
    इनकी वजह से सब काम बिगड़े हमारे।
    अब वायदा करते तुम्हें देंगे सब कुछ 
    फिर आगये तो तुम्हें खा जायेंगे ये सारे।।

    चंगुल में इनके तुम बिलकुल न आना
    बहुत पछताओगे रोओगे मेरे प्यारे।
     सही राह चुनकर सही को ही चुनना
    नहीं तो उतर जायेंगे सारे कपड़े तुम्हारे।।,,,, 
    -गोपी साजन

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