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    गीत

     गीत
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    इस तन पर क्यूं मान करे तू साथ नहीं ये जाएगा
    ओ नादां मतवाले इंसा मिट्टी में मिल जाएगा
    पाप,पुण्य तेरे साथ चलेंगे फल कर्मों का पाएगा।
    ओ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    भाई,बंधु कोई साथ न देगा कोई काम नहीं आयेगा
    साथी होंगे मरघट तक के वहां कोई नहीं जाएगा
    तेरा अपना खून ही तुझको आग लगाकर जाएगा।
    ओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    जीते जी का सारा मेला जीते जी की रौनक है
    जीते जी के रंग महल है और ये शानो शौकत है
    ना कुछ लेकर आया था तू ना कुछ लेकर जाएगा।
    ओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    मेरा मेरा सब कोई कहता जग में कोई नहीं तेरा
    जिस दिन तेरा दम निकलेगा खाली होगा ये डेरा
    डेरा जलकर खाक बनेगा हंस तेरा उड़ जायेगा।
    ओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    अच्छी करनी करले बंदे इश्क राम से करले तू
    राम नाम ही सार सत्य का राम नाम को भजले तू
    जनम अमोल को खोकर साजन फिर पीछे पछताएगा।
    ओ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    -गोपी साजन

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