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    पढि लिया तनी बैठिके चुप्पे,

    पढि लिया तनी बैठिके चुप्पे, 

    योगी जी की है सरकार, 
    नकल भरोसे होबा जौ तो, 
    अबकिव होए साल बेकार.

    मिला समय ई किस्मत से हो, 
    तू ऐहकै सद उपयोग करा, 
    खेलकूद कै चक्कर छोडा़, 
    मनईधारन बैठि पढा.

    नहीं समझ मा जौ कुछ आवय, 
    हमसे पूँछा तुहंय बताई, 
    तोहरी उमर रहे हमहूं तौ, 
    हमहूं दिन भै खोब अल्हराई.

    आंख खुली जब, तब तक तौ, 
    गदहा चरिगा सब खेत, 
    समय के कीमत समय से समझा, 
    ई फिसलत जइसे मुट्ठी के रेत.

    इहै समय बा बनय औ बिगडय,
    तू सब कच्ची माटी, 
    जइसे चहबा खुद ढलि जाबा,
    तोहरेन भले का डांटी.

    आज भले हमका गरियावा,
    बात खराबय लागय,
    तुहंय नींद से अही जगावत,
    केहू सोवय चाहे जागय.

    आवय वाला समय कठिन बा, 
    सब दिन रहिहैं ना बाबू माई, 
    आंख खुले तौ फिर पछताबा,
    जौ अपने मूडे आई. 

    पढ लिख के कुछ बनिजा काबिल, 
    फिर जय जयकार तुम्हारी, 
    तोर पढाई तोहरेन हिल्ले,
    ना बाबू ना महतारी.

    कम्पटीशन कै अहय जमाना, 
    निकरे केउ हजार के बींचे,
    सारी हेकड़ी सब घुस जाए, 
    जौ ऊंट आए पहाड़ के नीचे.

    कुछ पाने के खातिर बेटवा, 
    कुछ खोना ही पड़ता है, 
    मोती उसके हाथ में लगती, 
    जो गहरे पानी उतरता है.

    सारे बच्चों से विनती है, 
    मन लगाइ के तुम पढना, 
    जेतना पढना मन लगाइ के, 
    झूठ देखावा मत करना.

    तुहैं पढावय के खातिर, 
    माई बाबू हैं कष्ट सहत,
    तकलीफ तुहंय कउनो नाही, 
    वै रोज रोज हैं जियत मरत.

    हाथ जोड़कर विनती बा, 
    तू उनपै ई एहसान करा, 
    घूमब टहरब सब बंद करा, 
    एकदम पढाई पै ध्यान करा.

    राजू तुम सबसे हाथ जोड़, 
    विनती करि रहे हैं बार बार, 
    खोब नाम करा ऐस काम करा, 
    शुभचिंतक वै बाटें तोहार.

    रचयिता ©️®️
    राजू पाण्डेय बहेलियापुर

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