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    *आडम्बर*

    *आडम्बर*

    अंधविश्वास की आग में दहक रहा इंसान।
    नकली चेहरा पहन कर घूम रहा शैतान।
    धंधा करते धर्म का बोले झूठ अपार।
    मन्दिर मस्जिद नाम पर लड़ जाए हर बार।
    बने मौलवी फूक डालते जादू टोना करते।
    अपने झूठे जाल से पीड़ा सबकी हरते ।
    भांति भांति के बहुरूपिया मिलते इस संसार।
    आडम्बर के आड़ में करते हैं व्यभिचार ।
    पढ़े लिखे की बात ना माने कहलाते विद्वान।
    जो भी आवे शरण में उसका करें निदान।
    जड़ से खत्म करो आडम्बर धरो निरंतर ध्यान।
    शिक्षा का हथियार उठा लो मिले निराला ज्ञान।
    सदा करो मर्यादा पालन रखो उच्च विचार।
    बात पूर्वजों की धारण कर अपनाओ सद चार।
    इनका चक्कर बहुत निराला आडंबर का देश।
    अंधविश्वास को दूर भगाओ दिनकर का सन्देश।।

    *स्वरचित ✍️*
    *पंकज सिंह "दिनकर*"
    *(अर्कवंशी)लखनऊ उ.प्र.*

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