**********गजल**************
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रोशनी चुभने लगी इतना उजाला हो गया
खेल नंगा मौज मस्ती का मसाला हो गया।
झूठ की बैशाखियों के हैं सहारे हम सभी
जो भी बोला सच बवाला हो गया।
था वो बेईमान पर तमगा मिला ईमान का
सर पे रख के ताज वो सबसे निराला हो गया।
जो रहा ईमान पे उसका न पूछो हाल तुम
बिक गए बर्तन सभी उसका दिवाला हो गया।
भूखा नंगा था बड़ा जालिम था वो मक्कार था
बेच करके वो कफन अब सेठ लाला हो गया।,,,, -गोपी साजन