*नींद से अब तो जागो तुम*
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छुपे हुए गद्दार घरों में ढूंढ के इन्हें निकालो तुम
इन्हें भगाओ देश बचाओ इनके पांव उखाड़ो तुम।
दंगा और फसाद जी करते अपने नहीं हो सकते हैं
इनसे ना उम्मीद रखो तुम जड़ से इन्हें मिटादो तुम।
ये इंसान के दुश्मन हैं सब ये मक्कार और जालिम हैं
नेताओं के प्यादे हैं ये अब तो नींद से जागो तुम।
इनकी जात नहीं है कोई ये तो हैं बदजात सभी
नाम पे मजहब के लड़वाते इनसे खुद को बचालो तुम।
मिटाके रख दो इनकी नस्लें इनकी फसल जलादो तुम
ये शैतान हैं ये हैवान हैं खाक में इन्हें मिलादो तुम।,,,, गोपी साजन