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    एक ठो घोड़ा, एक ठो गदही


    एक ठो घोड़ा, एक ठो गदही, 

    उनमा प्रेम चढा परवान, 

    कै लेहें मन कै इच्छा पूरी, 

    उनके खच्चर भै संतान... 

    अब खच्चर मा ढूंढि रहे हैं, 

    कुछ घोड़ा कै चाल, 

    खच्चर घोड़ा बनवय खातिर, 

    गदहिव हैं बेहाल... 

    खच्चर दौडा घोडन संगे, 

    कई बार रेसकोर्स, 

    पहुँच ना पावे विजय द्वार तक, 

    आपन पूरी लगाएव फोर्स... 

    ऐहमा दोषी कौन है भैया, 

    खच्चर, गदही या घोड़ा.

    ऐहकय उत्तर दियौ बहादुर, 

    दिमाग लगावौ थोड़ा... 

    यहि सवाल राजू पांडे से, 

    केहू लीन्ह है पूंछ, 

    परें सोंच मा बहुतय गहिरे,

    पर अबहीं तक छूंछ... 

    सही से उत्तर दिया तू हमका, 

    हम आगे काव बताई, 

    चार विकल्प वाला क्वीस्चन बा, 

    गोला कउन रंगाई... 

    यहि सवाल के खातिर हमका, 

    आवा केबीसी से फोन, 

    अमिताभ बच्चन उधर से बोलें, 

    जब हम इधर से पूँछे कौन... 

    एक विकल्प घोड़ा कै बाटै, 

    औ दूजा बा खच्चर, 

    तीसर नंबर गदही बाटै, 

    चौथा जे इनके चक्कर... 

    अब घोड़ा कै कौन दी गलती, 

    प्रेम होत है अंधा, 

    गदही ओहपर रूप जाल कै, 

    आपन डारिस फंदा... 

    फिर से सोंचा तौ गदहिव कै, 

    समझ ना पावा गलती, 

    मालदार घोड़ा के खातिर, 

    सब छोड़ छाड़ के चल दी... 

    घोड़ा तौ दमदार रहा है, 

    नशल ठेठ पठानी, 

    दौड़ कबौ जौ ओहकर देखा, 

    जैसे पायलट आसमानी... 

    काव बेचारे खच्चर कै बा, 

    ऐहमा कउनो गलती, 

    उहौ बेचारे भोगत बाटेन,

    घोड़ा गदही कै सनती... 

    अही बतावत रुका तनी के, 

    ऐस आफत ना पेला, 

    कउन ई माया रचें बिधाता, 

    ई कउनी किसिम कै खेला... 

    तुहूं सबे कुछ हाथ बंटावा,

    जल्दी जल्दी बोला, 

    नही तौ भैया अही रंगावत,

    हम तौ चौथा गोला... 

    रचयिता:-
    राजू पाण्डेय बहेलियापुर..

    🙏🤔🤔😍🤔🤔🙏

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