*श्रावण ( प्रथम ), कृष्णपक्ष, पंचमी*
*संवत २०८०*
*०७ जुलाई, २०२३, शुक्रवार*
*सुप्रभात*
*जय शुक्र देव*
शुक्रदेव है आपसे, विनती बारंबार।
दे दो लेखन की कला, सुंदर-सुखद विचार।।
शुक्रदेव आचार्य जी, दे दो थोड़ा ज्ञान ।
काव्य-कला-कौशल हमें, कर दो तनिक प्रदान ।।
मैं चरणों में कर रहा, झुककर तुम्हें प्रणाम ।
शुक्रदेव कर दीजिए, पूरा हर शुभ काम ।।
कठिनाई कर दो सरल, मानो यह मनुहार ।
शुक्र सफलता दो हमें, विनती बारंबार ।।
✍️ राहुल सिंह ओज