(लघुकथा)
*आबादी*
आज सबीना को अपनी कालेज की सहेली और सहपाठी अंजना की याद आयी। पढ़ाई पूरी कर शादी हुई और घर गृहस्थी मशगूल हो गयी।
दोनों के पति इसी शहर में सरकारी मुलाजिम हैं । करोना की त्रासदी से कुछ राहत के बीच लाकडाउन में छूट मिली। सबीना ने अंजना के घर पर पहुंच कर दस्तक दी। इंतजार कर रही अंजना ने गेट खोला । बाद आवभगत के गपशप शुरु हुई....
"सबीना कितने बच्चे हैं?" अंजना ने पूछा।
सबीना चहकी- "चार बच्चे....मतलब तीन लड़के और एक लड़की........अल्लाह की देन है"
"हाय! आबादी का ख्याल नहीं" अंजना ने चिढ़ाया।
तभी अंजना की गोद में बच्चा देख बोली --" ....और यह?"
अंजना हंसते हुए बोली--" वर्क फ्राम होम।"
*प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*