हैं हम नादान परिंदेहैं हम नादान परिंदे
ईश्वर के हम बंदे
प्रथक प्रथक रहकर भी
इक दूजे के दिल में हैं निहित
यदा कदा कुछ छोटी मोटी
नोक झोंक है उचित
है वो भी अपने घर में
सबसे छोटी बेटी
हम राते काली करते
वो बिस्तर पे लेटी
अच्छी है वो भोली है
कन्या वो सुकुमारी है
छोटी छोटी बात पे लड़ती
दुनिया इससे हारी है
Varun Tiwari