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    खूबसूरती

                       -खूबसूरती -
    हमने कई लोगों को कहते और सुनते देखा है कि फला व्यक्ती बहुत खूबसूरत हैं जबकि फला व्यक्ती देखने में कुछ खास नहीं दिखता है यह सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार खूबसूरती क्या है,इसकी सटीक परिभाषा क्या है, इसका कोई मानदंड या पैमाना है जिसके आधार पर खूबसूरती निर्धारित होती हैं आज हम इसी सवाल पर मंथन अथवा विचार करेंगे अगर हम गौर से देखे तो ज्ञात होगा कि क्या शारीरिक खूबसूरती हमारे जीवन में इतना महत्व रखती हैं कि इसके बिना व्यक्ती की पहचान नहीं है, शायद नहीं क्योंकि किसी भी व्यक्ति की खूबसूरती उसके तन से ज्यादा मन की होती हैं मन में पल रहे उन विचारो की होती हैं, और य़ह बिचार हर व्यक्ती के लिए अलग अलग होती हैं, हर व्यक्ती के विचार अलग अलग होते हैं जिसके अनुरूप कार्य करके वो आत्मिक संतुष्टि अनुभव करते है, यह कार्य ही उनकी खूबसूरती है किसी के लिए खूबसूरती का अर्थ किसी व्यक्ती अथवा समाज का हित होता है, किसी के लिए पर्यावरण के लिए काम करना, किसी के लिए लेखन द्वारा समाज को अपने सकरात्मक विचारो को प्रेरित करना है इस तरह हर व्यक्ती की खूबसूरती अलग अलग होती हैं हम भी किसी व्यक्ती का नाम मन मे सोचते है तो उनके द्वारा किए गए कार्य से उनको सोचते है, हमारे मन यह कभी भी नहीं आता कि वह चेहरे से कैसा है? चेहरे से ज्यादा उसके द्वारा किए गए कार्यो से उसकी कल्पना करते है जैसे हम कैलाश सत्यार्थी की बात करते है तो सबसे पहले उनके बचपन बचाओ की बात मन मे आती हैं इसी प्रकार मेघा पाटेकर और प्रेमचंद्र की बात होती हैं तो क्रमशः उनके द्वारा किए पर्यावरणीय कार्यो और लेखन कार्यो की छवि हमारे दिमाग में आती हैं हर उम्र में व्यक्ती की खूबसूरती अलग होती हैं प्रतीकात्मक रूप से देखा जाये तो उम्र के साथ यह बढ़ती ही जाती हैं कुछ लोग कहेंगे कि खूबसूरती शब्द शायद औरतों के उपयोग में लाए जाते हैं पर मैं कहूँगी नहीं,इससे भी ज्यादा कुछ अलग होता है उसका सरोकार किसी के नयन, शरीर, बाहें , होंठ, रूप कि सुंदरता से नहीं होता है दार्शनिक दृष्टी से देखे तो खूबसूरती केवल एक दृष्टीकोण है अंधे, बहरे, गूंगे, सब में खूबसूरती होती हैं अंधे व्यक्ती की खूबसूरती उसकी मन की आँखों में से देखने में है गूंगे की संकेतों में छिपी होती बातों को समझने में है, बहरे की आँखों के इशारों में छिपी होती है, गरीब की खूबसूरती मेहनत से कमाई रोटी में होती हैं 
    एक विद्यार्थी की खूबसूरती उसके द्वारा की गयी पढ़ाई से लाए गए परिणाम में होती हैं औरत की खूबसूरती उसकी सहनशीलता/ सौम्यता में होती हैं जबकि मर्द की खूबसूरती उसके पौरुष में होती हैं, बच्चों की खूबसूरती उसके निश्चल और छलरहित भाव, भंगिमा और हसी में है एक प्रेमी की खूबसूरती उसके प्रेम करने के निश्चल ढंग से है जबकि मृत्यु की खूबसूरती किसी के द्वारा जीवन मे किए गए कार्यो से है वही प्रकृति की खूबसूरती उसकी फ़िज़ाओं और खुशबु में है इस प्रकार खूबसूरती सादगी भरे जीवन जीने से है लेकिन आज हम देख रहे हैं कि इस सादगी पर भी समय के प्रहार ने कृत्रिमता का मोहर लगाना शुरू कर दिया है अब हमें विचार करना होगा कि कौन सी खूबसूरती के लिए हमें जीना है और उस दिशा में कार्य करना है जो हमे आत्मिक और आध्यात्मिक संतुष्टि प्रदान करे!
                                -डॉ रानी कुमारी 
                              लेखिका, कवियत्री 
                        सहायक प्राध्यापक, इतिहास 

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