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    धन,बल,कुर्सी के ताकत से अंधा इंसान*

    *धन,बल,कुर्सी के ताकत से अंधा इंसान*



    मानव जीवन में रह कर,जो भी मानव को सतावै।
    उसको ऐसी सजा मिले प्रभु,कभी भूल नहिं पावै।।

    शायद भूल गया है इंसा,ईश्वर सब कुछ देख रहा।
    असली दंड वही देता है,अच्छा बुरा जो देख रहा।।

    पैसा व कुर्सी की ताकत से, हो बैठा जो अंधा है।
    कितनी घिनौनी सोच उसकी, काम कैसा गंदा है।।

    भोग रही यह दुनिया कैसे,उसे देख ज्ञान न आए।
    अपने रुतबे के दम्भ में वो, दुःख देकर सुख पाए।।

    कैसे आत्मा ये करे गंवारा, उसको नहीं धिक्कारे।
    पीड़ित हुए जो भी उससे,दिल से श्रापें धिक्कारे।।

    आज नहीं तो कल मिले,करनी का फल निश्चित।
    यही सृष्टि का नियम रहा,यह व्यवस्था सुनिश्चित।।

    इंसानियत,संवेदना विहीन,कैसे कहलाते इंसान।
    होता जो मानवता विहीन,राक्षस वो,नहीं इंसान।।

    जन्मा जो धरती पर,जाएगा छोड़ दुनिया रंगीन। 
    ओढ़ श्वेत कफन ही जाएगा,होगा नहीं ये रंगीन।।

    गया सिकंदर भी कंधे पे,कंधे पे अशोक महान।
    राजा,रंक भी जाएं कंधे पे, जाने सकल जहान।।

    जीवित रहते फिरभी कितना,सबको अभिमान।
    ये भी सोचो तनिक जरा, सबका है स्वाभिमान।।

    सारा अहं टूट जाएगा,जब मारे हथौड़ा भगवान।
    समय रहते अहंकार छोड़ दे,सुधर जा ऐ इंसान।।

    सब सहता,संतोष किए जो,मीठा फल मिलता।
    अन्यायी,दोषी को निश्चित है, उसे फल मिलता।।

    देर है,अंधेर नहीं है,ईश्वर की अदालत में थोड़ा।
    प्रभु ने बड़े-बड़े बलवानों का,सदा घमंड तोड़ा।।

    सबका टूटा है,तेरा भी टूटेगा,एक दिन पक्का।
    समझ न पाएगा मिलेगा, होगा हक्का-बक्का।।

    इतना अहंकार न कर, सुधर जा मूरख इंसान।
    हर करनी का फल देताहै,बस केवल भगवान।।



    सर्वाधिकार सुरक्षित ©®

    रचयिता :

    *डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव*
    सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रवक्ता-पी.बी.कालेज,प्रतापगढ़,उ.प्र.
    (शिक्षक,कवि,लेखक,लघुकथाकार,समीक्षक व समाजसेवी)
    इंटरनेशनल ज्वाइंट ट्रेजरर, 2023-2024, ए. सी.आई.
    एलायंस क्लब्स इंटरनेशनल,कोलकाता,प.बंगाल,भारत
    वरिष्ठ समाजसेवी-प्रांतीय,राष्ट्रीय,अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन

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