विषय -- श्रापित नारी
शीर्षक -- नारी का श्रापित जीवन
इंद्र ने किया छल गौतम पत्नी अहिल्या से,
बनी पाषाण की मूर्ति वह गौतम ऋषि के शाप से।
मिली मुक्ति उसे इस शाप से त्रेता युग में,
दसरथ कुमार श्री रामचंद्र जी के चरण रज से।।
सीताहरण करके रावण ने बंदी बनाया अशोक वाटिका में,
राम,लक्ष्मण और सुग्रीव वानर सेना लेकर आए।
किया लंकापति रावण का समूल नाश युद्ध में,
अग्नि परीक्षा तब देकर सीता मिलने आए श्री राम से।।
कलयुग में आज नारी जीवन है हर दिन श्रापित,
कन्या -भ्रूण हत्या, कन्या वध, बाल विवाह, दहेज प्रथा।
झेलने पड़ते हैं हर दिन उसे कई दंश जीवन में,
पग-पग पर देती हैं अग्नि परीक्षा झेलकर कष्टों को।।
अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है नारी आज,
हर क्षण दानव तैयार खड़े हैं लूटने को उसकी लाज।
हाट, बाजार, सड़कों, शिक्षालयों में मुश्किल से बचती आबरूं,
जीवन के हर कष्टों से वह हो रही है रूबरू।।
आसान नहीं है जीवन जीना आज नारी का,
तार-तार हो रहा है आंचल आज नारी का।
करो त्याग दानवता का अपने आदर करो नारी का,
कोपभाजक बनोगे, नष्ट हो जाओगे,आह लगेगा नारी का।।
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मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
सिवान, बिहार