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    बुरा तुम्हें क्यूं लगता है*

    *बुरा तुम्हें क्यूं लगता है*

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    जिन्होंने लूटा अपने मुल्क को तुम उनके गुण गाते हो
    क्या लगाव है तुमको उनसे क्यूं नफरत फैलाते हो।

    उनके नाम पे अपने बच्चों के नाम शान से रखते हो
    आदर्श उन्हीको मानते अपना उनकी तारीफें करते हो।

    तुम उनकी औलाद नहीं हो तुम भारत के वासी हो
    सबकुछ पाया तुमने यहांसे फिर क्यूं बनते नाजी हो।

    जिस मिट्टी से पाया सब कुछ उससे ही रखते हो खीज
    गीत दुश्मनों के गाते हो सच से क्यूं लेते आंखें मींच।

    उनकी निशानी मिटा रहे हैं बुरा तुम्हें क्यूं लगता है
    कौन तुम्हारे लगते हैं वो तुमसे अब क्या रिश्ता है।

    बीज जहर के बोगए वो तुम उनकी फसल उगाते हो
    लेके हिमायत उनकी क्यूं सबके ही दिलको दुखाते हो।

    तुमने भी कुर्बानी दी है मिलकरके सींचा ये देश
    तुम हो हमारे हम हैं तुम्हारे मिटादोअब तुम सारे क्लेश।,,,
     गोपी साजन

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