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    मृत्यु-भोज

    मृत्यु-भोज 


    मृत्यु-भोज जो कर रहे, सही नहीं ये रीत।
    शोकाकुल परिवार में, जीम रहे सब मीत।।

    मृत्यु-भोज जो कर रहे, सही नहीं वो लोग। 
    मृत्यु-भोज करते वही,जिसे मानसिक रोग।।

    मृत्यु हुई परिवार में, पके कई पकवान। 
    मृत्यु-भोज जो खा रहे, लगे सभी शैतान।।

    देखा-देखी कर रहे, मृत्यु होन पर भोज।
    मरता खपता जग रहे, खाते हैं ये रोज।।

    मृत्यु-भोज जो ना करे, करें लोग तकरार। 
    जीभ लालची खा रही,चटनी शॉश अचार।।

    मृत्यु-भोज हैं कर रहे, लेकर मोटा कर्ज।
    सभी लगे बीमार से, मृत्यु-भोज है मर्ज।।

    सिल्ला जीते जी करो, सबका इज्जत मान।
    मृत्यु-भोज को छोड़कर, करो पात्र को दान।।

                                      -विनोद सिल्ला

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