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    जय श्री राधे राधे

    जय श्री राधे राधे 🙏🏻🙏🏻
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    ना जानूं मैं भजन - कीर्तन
    ना जानूं कोई मंत्र
    ना जानूं मैं गाना - बजाना 
    ना जानूं कोई तंत्र
    हे राधे रानी कैसे तुझे रिझाऊं
    कैसे तुझे बुलाऊं।
    धूप,दीप, नैवेद्य, आरती
    कुछ भी नहीं मैं लाया
    पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल
    नहीं कुछ तुझे चढ़ाया 
    हे राधे रानी कैसे तुझे रिझाऊं
    कैसे तुझे मैं बुलाऊं।
    मोर मुकुट वाले वंशीधर कृष्णा
    बंशी यमुना तट पर बजाएं
    उनके मुरली के एक धुन पर
    दौड़ी तुम चली आए
    मैं बावरा मुरली भी न लाया
    खाली हाथ चला आया
    नटवर नागर की एक भी इशारा
    मैं समझ न पाया
    हे राधे रानी कैसे तुझे रिझाऊं
    कैसे तुझे बुलाऊं।
    अपनी माया तू ही बता दो
    अपनी कृपा बरसाओ
    दीन बाल पर दया दिखाके
    आज दौड़ी चली आओ
    हे राधे रानी भक्त पर दया दिखलाओ
    हे राधे रानी अपनी दया दिखलाओ।
    ना जानूं मैं भजन कीर्तन
    ना जानूं कोई मंत्र
    ना जानूं मैं गाना बजाना
    ना जानूं कोई तंत्र
    हे राधे रानी कैसे तुझे रिझाऊं
    कैसे तुझे बुलाऊं।
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    मुकेश कुमार दुबे "दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार

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