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    गणपति वंदना

    सुप्रभात, नमस्कार, प्रातः वंदन
                  गणपति वंदना
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    वंदन करे गणपति देव की,
    गौरी के लाल शंकरनंदन की।
    प्रथम पूज्य देव कहलाते,
    मंगल सहित सब काज सिद्ध कराते।।
    वाहन मूषक अति लघु जीव,
    लंबोदर का भारी विशाल शरीर।
    लघु गुरु का होता समन्वय,
    रिद्धि सिद्धि के पति,
    बुद्धि, बल, ज्ञान का समन्वय।।
    किजिए हे प्रभु सिद्ध कार्य हमारे,
    आशा लिए खड़े द्वार तुई।
    दिजिए आशीष सफलता का,
    जीवन कृतार्थ हो तेरी भक्ति पाकर जग में।
    कीर्ति बढ़े सबकी चहुं ओर,
    भारत देश गौरवान्वित हो जग में।।
    *********"*****************

    मुकेश कुमार दुबे"दुर्लभ"
    ( शिक्षक सह साहित्यकार)
    सिवान, बिहार)

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